Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Vishva Vidyapith
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आत्मारामजी शिष्य खानांपाद रामसुखदास । प्रति- गुटकाकार-पत्र १०६ । पंक्ति १७ से २०। बशर २६ से ४२ तक साइज ||४५
[स्थान- स्वामी नरोत्तमदासजी का संग्रह ] (१२) संतवाणी संग्रहश्रादि
__ पहला पत्र नहीं है, २ से ५४ तक है, फिर ६२८ मे ६८५ तक के पन्ने हैं अंत के ६७७, ६८०, ६८१, ६८३, ६८५ के नहीं हैं, अंत में सूची का पहला पत्र नहीं। पीछे २ पत्र हैं. अर्थात गुटके के बीच का हिस्सा कहीं अलग रह गया है। प्राप्त प्रति से इन रचनाओं के नामादि का पता चलता है। उनकी सूची इस प्रकार है
१ गुरुदेव को अंग पद्य १७० पत्रांक ४ अ
अंत
जन सेवदास सतगुरु . इहा, गरवा गुण अछेह ।
मुवति करें गुर पलक मैं अभै उमर पद देह ॥ १७० ॥ २ गुर ( सिख ) पारिग्व को अंग पद्य ६० जनसेवादास- पत्रांक ५ ब
,, १७ अ
१८ ब
१८
१
३ सुमिरण के अंग पद्य ५०५ ४ विरह के अंग पद्य ५० ५ बानविरह अंग पद्य १० ६ परचा के अंग पद्य ७७ ७ सजीवन के अंग पा ३० ८ वीनति को अंग ,, ६६ ६ जरया को अंग ,, १० साध को , ,,३३० ११ साध महिमा को अंग पद्य १६ १२ साधु संगति , , ४६ १३ साध परिख , , , २५
,, २० य
२६
श्र