Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Vishva Vidyapith

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Page 293
________________ ( ३० ) २०८ शुद्ध भभु ( श्वश्रु )क जे प्यारे जगदंबा॥ २०८ राज तेने समय २७८ २३ २०६२ २०८ २ २०६३ शक शुक्र २०६ अष्ट भू २०६ इसके आगे प्रत्येक ११ शैलपत १ २०६१३ २०६ २०६ १७ २०६ २० २०६ २१ २०६ २३ २०६ २०६ २५ राजतने समय एक यक अष्टमू इनके प्रत्येक ....... सुखेपाय सुधर ते बरन बरणो सुक सत्रह स नारका दिवारी मूदपन निर्वान ॥ पास ।। उनिबध देवा पर (६) कथा नख गणपति के सुखपाय सुघर बल ते व्यायो शक सत्रहमत. . . . . विकारी मूढपन निर्वान ॥११॥ पास ।।१०२॥ उनिपद देका पट (७) कथा नाव मणपति के बलि २११ दिन छिन १११ ११ ११ १२ जानन हो २० जोड़ा अंतिम नहया ३ आतमार्थम् जान नहीं जोग नहचा आतम पडानार्थ

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