Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Vishva Vidyapith
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(१०) सभा पर्वणी भाषा टीका । रचयिता-व्यास देवीदास । रचना काल-संवत १७२० । अनूपसिंह कारित । श्रादि
विप्न गज पद विमल, नमो चित्रय धरि चित्त । करूं नीत भाषा परथ, नारद कहै कवित ॥
महाराज करणेस मुथ, अनघ अनूप साधार । हुकम कीयो टीका रची, भाषा व्यास विचार ॥ ५ ॥ संमत् सतरै सै सम, बीसै कर्ण विवेक ।
रसिकराज कारण रची, टीका अर्थ अनेक ॥ ६ ॥ प्रति-गुटकाकारविशेष-टीका गद्य में है।
[ स्थान-कविराज सुखदानजी चारण के संग्रह में ]