Book Title: Rajasthan me Hindi ke Hastlikhit Grantho ki Khoj Part 4
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Rajasthan Vishva Vidyapith

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Page 277
________________ ( १४ ) पृ० पं० १२७ १२७ न रहा विराजते छाजते १२७ १२७ १२७ १३ १६ १७ कृपाल १२८ २२ २४ अशुद्ध नरं हया विराज छजते कपाल मु उमरदराज देशातु पास रहिया कहिया जिन वल्लभ सूरि कंह कंहाचार्य हितो उपदेश नायं जो सत गुणा कर दुक्कड़ मथाय गोयम सम्यक प्रातीहा राज उमदराज देसोतु पास रहणा कहणा जिन लाभ सूरि कुंदकुदाचार्य हितोपदेश नायगो संत गुणाकर दुक्कड़म थाय गोयमं १३० १३० १३२ १३२ १३२ १ १७ १५२ सम्पक १३३ १३३ प्रातीहारीज - * . . . . . गत गात rruru धर घर १३४ ३ पदमागम १३४८ सास १३४ लाभ १३४ १६ क्याम खाती १३४ २७ कूये १३५ परमागम मास कँवललाम क्यागखानी . आमेर (जयपुर भंडार)

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