Book Title: Proceedings and papers of National Seminar on Jainology
Author(s): Yugalkishor Mishra
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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जैनधर्म एवं छोटानागपुर
उमेशचन्द्र द्विवेदी* जैन धर्म एवं जैन कला के विकास में छोटानागपुर-क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण योगदान है। जैन धर्म एवं जैन कला का अध्ययन तबतक पूरा नहीं हो सकता, जबतक कि इस क्षेत्र की कला का अध्ययन नहीं किया जाता।
__ जैन धर्म का एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थल पारसनाथ की पहाड़ी छोटानागपुर के गिरिडीह जिले में अवस्थित है। जैसा कि नाम से ही विदित है, यह स्थल जैन धर्म के २३वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ से सम्बन्धित है। इस स्थल का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि इस धर्म के चौबीस तीर्थंकरों में बीस ने यहीं निर्वाण प्राप्त किया था। ये तीर्थंकर थे--अजितनाथ, सम्भवनाथ, अभिनन्दनाथ, सुमतिनाथ, पद्मप्रभ, सुपार्श्वनाथ, चन्द्रभ्रम, सुविधिनाथ, शीतलनाथ, श्रेयांसनाथ, विमलनाथ, अनन्तनाथ, धर्मनाथ, शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ, अर्हनाथ, मल्लिनाथ, मुनिसुव्रत, नमिनाथ एवं पार्श्वनाथ । जैन धर्म के लिए यह स्थान कितना महत्त्वपूर्ण है यह इसी से स्पष्ट हो जाता है कि जैन धर्म के दोनों प्रमुख सम्प्रदाय श्वेताम्बर एवं दिगम्बर ने एक दूसरे के विरुद्ध इस स्थान पर अपना वर्चस्व कायम करने हेतु वर्षों तक मुकदमा लड़ा। ___पारसनाथ निश्चित रूप से अतिशय प्राचीन स्थल है, परन्तु इस स्थान पर कोई भी ऐसा पुरावशेष नहीं बचा है, जो १८ वीं शती ई. से पूर्व की हो।' बेगलर ने इस स्थान की चर्चा करते हुए कहा था कि मधुबन, जो इस पहाड़ी के उत्तरी तल पर अवस्थित है, में अनेक प्राचीन प्रस्तर-कलाकृतियाँ थीं। परन्तु १९०३ ई. में ब्लॉच ने जब इस स्थान का भ्रमण किया था, उसे यहाँ कोई भी पुरावशेष देखने को नहीं मिला था।
जैन धर्म से सम्बन्धित दूसरा प्रमुख स्थल कुलुहा की पहाड़ी है, जो छोटानागपुर के पतरा जिले में अवस्थित है। स्टेन के अनुसार १८९९ ई. में उसे 'श्रीतीर्थमाला अमोलक रत्न' नामक एक पुस्तक दिखाई गई थी, जिसके अनुसार कुलुहा जैन धर्म के १०वें तीर्थंकर शीतलस्वामी का जन्मस्थल एवं निर्वाणस्थल दोनों था और उस समय यह स्थान भद्दिलपुर नगर के नाम से जाना जाता था। परन्तु स्टेन के विचार में यह जैन धर्मावलम्बियों का उस समय कोई प्रमुख तीर्थस्थल नहीं था। इस स्थान पर पार्श्वनाथ का एक मन्दिर है, जहाँ १०-१० की संख्या में जैन तीर्थंकरों का दो समूह पहाड़ी को * संग्रहालयाध्यक्ष, राँची संग्रहालय, राँची
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