Book Title: Proceedings and papers of National Seminar on Jainology
Author(s): Yugalkishor Mishra
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
View full book text
________________
50
Vaishali Institute Research Bulletin No. 8
सौजन्य से प्राप्त हुआ है २० । इस प्रतिमा में यक्ष- यक्षी को एक बच्चे को गोद में लिये अर्द्धपर्यंकासन मुद्रा में बैठे दिखाया गया है । इनके मध्य एक वृक्ष को अंकित किया गया है, जिसपर एक छोटे-से तीर्थंकर को बैठा दिखाया गया है। उनके नीचे एक छोटे-से बच्चे को झूलता देखा जा सकता है। तीर्थंकर के दोनों तरफ दो हाथी देखे जा सकते हैं। हाथी के अगल-बगल गन्धर्वों का चित्रण है । प्रतिमा के निचले हिस्से में छह भक्त दिखाई देते हैं और एक व्यक्ति को हाथी पर सवार दिखाया गया है । यक्षी की बाईं तरफ नागफन पर एक व्यक्ति को खड़ा दिखाया गया है। हाथी अजितनाथ का लांछन है, अत: इन यक्ष-यक्षी की पहचान महायक्ष एवं अजितबाला से की जा सकती है ।
इसी प्रकार की एक दूसरी प्रतिमा इस लेखक के द्वारा राँची संग्रहालय के लिए संकलित की गई है, जो पटामदा- प्रखण्ड से प्राप्त हुआ है । यहाँ भी यक्ष-यक्षी को बच्चे के साथ अर्द्धपर्यंकासन मुद्रा में बैठे दिखाया गया है। यहाँ भी उनके मध्य एक वृक्ष दिखाया गया है, जिसके ऊपर एक जैन तीर्थंकर को बैठे दिखाया गया है। प्रतिमा के निचले हिस्से में पाँच बैठे मनुष्यों में दो को जानवरों पर बैठा एवं एक को कमल पर बैठा दिखाया गया है। चूँकि प्रतिमा काफी टूट-फूट गई है, अतः इन यक्ष-यक्षी की पहचान कठिन है ।
अनुमण्डलाधिकारी, दालभूम के माध्यम से दो अन्य जैन प्रतिमाएँ राँची संग्रहालय को प्राप्त हुई हैं। एक प्रतिमा में तीर्थंकर को कायोत्सर्ग-मुद्रा में कमलासन पर खड़े दिखाया गया है। इनके दोनों तरफ चौरी लिये यक्ष या सेवक दिखाये गये हैं । इनके ठीक ऊपर सम्भवतः अष्टग्रहों का चित्रण है, जिनमें प्रथम ग्रह सूर्य एवं अन्तिम राहु की पहचान होती है । सूर्य के दोनों हाथों में कमल दिखाई देता है एवं राहु के दोनों हाथों में अर्द्धचन्द्र । बाईं तरफ के सेवक के बायें एक स्त्री को बैठे दिखाया गया है । आसन में सबसे दाहिनी तरफ एक भक्त ध्यान मुद्रा में दिखाया गया है, जिसकी बगल में एक सिंह अंकित है । सिंह के बाद एक अन्य भक्त की प्रतिमा है, जो आसन के मध्य में अंकित मृग की तरफ मुड़ा है। इस मृग के पश्चात् पुनः एक भक्त का अंकन है, जो सम्भवतः किसी स्त्री की प्रतिमा है। इसके बाद पुनः एक सिंह एवं एक भक्त का अंकन है । ऊपर के भाग में छत्र, प्रभामण्डल एवं गन्धर्व देखे जा सकते हैं। आसन पर मध्य में अंकित मृग के आधार पर इस प्रतिमा की पहचान शान्तिनाथ से की जा सकती है ।
एक अन्य प्रतिमा में ऋषभनाथ को कायोत्सर्ग-मुद्रा में कमलासन पर दिखाया गया है । इनके दोनों तरफ दो सेवक देखे जा सकते हैं, जिनके हाथ में चँवर है। आसन पर दोनों तरफ एक-एक सिंह दिखाया गया है । इनकी बगल में अर्चना - मुद्रा में दो भक्त देखे जा सकते हैं, जिनका ध्यान मध्य की ओर है । प्रमुख प्रतिमा के दोनों तरफ २४
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org