Book Title: Proceedings and papers of National Seminar on Jainology
Author(s): Yugalkishor Mishra
Publisher: Research Institute of Prakrit Jainology & Ahimsa Mujjaffarpur
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Vaishali Institute Research Bulletin No. 8
व्यवस्था की जाय, वहीं ज्ञान की महत्त्वपूर्ण शाखा छन्दःशास्त्र-विषयक ग्रन्थों के प्रणयन एवं प्रकाशन को भी प्रोत्साहित किया जाय। छन्दःकोश की निर्मिति इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि सिद्ध हो सकती है। सन्दर्भ-स्रोत :
१. वाचस्पति गैरोला : संस्कृत साहित्य का इतिहास, पृ. ११० २. युधिष्ठिर मीमांसक : वैदिक छन्दोमीमांसा, पृ. ४३ ३. द यूनिवर्सिटी मैनुस्क्रिप्ट्स लाइब्रेरी, त्रिवेन्द्रम्, १९४९ ई. ४. वही, भूमिका VII. ५. डॉ. वेलंकर द्वारा सम्पादित एवं राजस्थान प्राच्यविद्या-प्रतिष्ठान, जोधपुर से
प्रकाशित ६. भूमिका, पृ. xxv ७. डॉ. वेलंकर द्वारा सम्पादित तथा कविदर्पण में संकलित ८. डॉ. वेलंकर द्वारा सम्पादित एवं राजस्थान प्राच्यविद्या-प्रतिष्ठान, जोधपुर से सन्
१९६२ ई. में प्रकाशित । ९. हिन्दी-काव्यधारा, पृ. २२ १०. डा. हीरालाल जैन : स्वयम्भू एण्ड हिज टू पोएम्स इन अपभ्रंश, नागपुर
यूनिवर्सिटी जर्नल नं.१, दिसम्बर १९३५ई., पृ. ७५ ११. डा. वेलंकर द्वारा सम्पादित तथा स्वयम्भूच्छन्द में संकलित १२. डॉ. वेलंकर द्वारा सम्पादित और प्राच्य वि. प्र, जोधपुर से प्रकाशित । १३. डॉ. एच. डी. वेलंकर द्वारा सम्पादित और भारतीय विद्याभवन, बम्बई द्वारा
प्रकाशित, १९६१ ई. १४. डॉ. वेलंकर द्वारा सम्पादित और कविदर्पण में संकलित १५. प्राकृत-ग्रन्थ-परिषद्, वाराणसी से भोलाशंकर व्यास की टीका के साथ प्रकाशित १६. पिंगलछन्दःसूत्रम्, ४.८ तथा नारदपुराण, पूर्वभाग २.५७.९ १७. सर्वानुक्रमणी, मैकडोनल-सम्पादित, भाग १ १८. सुवृत्ततिलकम् की प्रभाटीका, चौखम्भा प्रकाशन, प्रथम संस्करण १९. छन्दोऽनुशासन की भूमिका २०. हजारीप्रसाद द्विवेदी : हिन्दी साहित्य : उद्भव और विकास, वि. सं. २००९,
पृ. १५
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