Book Title: Digvijaya Mahakavya
Author(s): Meghvijay, Ambalal P Shah
Publisher: Singhi Jain Shastra Shiksha Pith Mumbai

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Page 15
________________ $૨ सिंघी जैन ग्रन्थ माला प्रामाणिक व्यापारी तरीके तेमणे विशिष्ट ख्याति प्राप्त करी हती. एक वखते तेओ, बंगालनो सौथी मुख्य व्यापार जे जूटनो गणाय छे तेना, सौथी मोटा व्यापारी थई गया हता. तेमना पुरुषार्थथी, तेमनी व्यापारी पेढी जे हरिसिंह निहालचंदना नामे चालती हती ते बंगालमां जूटनो व्यापार करनारी देशी तथा विदेशी पेढीओमां सौथी मोटी पेढी गणाती थई हती. बाबू डालचंदजी सिंघीनो जन्म संवत् १९२१ मां थयो हतो, अने १९३५ मां तेमनुं श्री मनुकुमारी साथे लग्न थयु. १४-१५ वर्षनी उम्रमां डालचंदजीए पोताना पितानी दुकाननो कारभार, जे ते वखते बहु ज साधारण रूपमा चालतो हतो, ते हाथमां लीधो. तेओ अजीमगंज छोडी कलकत्ते आव्या अने त्यां पोतानी होशियारी अने खंतवडे ए कारभारने धीमे धीमे खूब ज वधार्यो अने अंते तेने एक सौथी मोटी फर्मना रूपमा स्थापित को. कलकत्तामा ज्यारे जूट बेलर्स एसोसीएशननी स्थापना थई त्यारे बाबू डालचंदजी सिंघीने तेना सौथी पहेला प्रेसीडेन्ट बनाववामां आव्या हता. जूटना व्यापारमा आवी रीते सौथी मोटुं स्थान मेळवीने पछी तेमणे पोतानुं लक्ष्य बीजा बीजा उद्योगो तरफ पण दोरव्यु. एक तरफ तेमणे मध्यप्रांतोमां आवेला कोरीया स्टेटमां कोलसानी खाणोना उद्योगनो पायो नांख्यो अने बीजी तरफ दक्षिणना शकति अने अकलतरानां राज्योमा आवेली चूनाना पत्थरोनी खाणोना, तेम ज बेळगाम, सावंतवाडी, इचलकरंजी जेवा स्थानोमां आवेली 'बोकसाइट'नी खाणोना विकासनी शोध करवा पाछळ पोतानुं लक्ष्य परोठ्यु. कोलसाना उद्योग अर्थे तेमणे 'मेसर्स डालचंद वहादुरसिंह' ए नामथी नवी पेढीनी स्थापना करी जे आजे हिंदुस्थानमा एक अग्रगण्य पेढी गणाय छे. ए उपरांत तेमणे बंगालना चोवीस परगणा, रंगपुर, पूर्णीया अने मालदहा विगेरे जिल्लाओमां मोटी जमीनदारी पण खरीद करी अने ए रीते बंगालना नामांकित जमीनदारोमां पण तेमणे पोतानुं खास स्थान प्राप्त कयु. बाबू डालचंदजीनी आवी सुप्रतिष्ठा केवळ व्यापारिक क्षेत्रमा ज मर्यादित न्होती. तेओ पोतानी उदारता अने धार्मिकता माटे पण एटला ज सुप्रसिद्ध हता-तेमनी परोपकारवृत्ति पण तेटली ज प्रशंसनीय हती. परंतु, परोपकारसुलभ प्रसिद्धिथी तेओ प्रायः दूर रहेता हता. घणा भागे तेओ गुप्तरीते ज अर्थिजनोने पोतानी उदारतानो लाभ आपता. तेमणे पोताना जीवनमां लाखोन दान कयु हशे पण तेनी प्रसिद्धि के नोंध तेमणे भाग्ये ज करवा इच्छी हशे. तेमना सुपुत्र बाबू श्री बहादुर सिंहजीए प्रसंगोपात्त चर्चा करतां जणाव्युं हतुं, के तेओ जे काई दान आदि करता, तेनी खबर तेमने पोताने (पुत्रने) पण भाग्ये ज थती. आथी तेमना जाहेर दानो अंगेनी मात्र नीचेना २-४ प्रसंगोनी ज माहिती मळी शकी हती. ___ सन १९२६ मा 'चित्तरंजन सेवा सदन' माटे कलकत्तामा फाळो करवामां आव्यो त्यारे एक वार खूद महात्माजी एमना मकाने गया हता अने ते वखते तेमणे वगर मांग्ये ज महात्माजीने ए कार्य माटे १०००० रुपीया आप्या हता १९१७ मां कलकत्तामां गवन्मेंट हाउस'ना मेदानमां, लॉर्ड कार्माइकलना आश्रय नीचे रेडक्रॉस माटे एक मेळावडो थयो हतो तेमा तेमणे २१००० रुपीया आप्या हता. तेम ज प्रथम महायुद्ध वखते तेमणे ३,००,००० रुपीआना 'वॉर बॉण्डस्' खरीद करीने ए प्रसंगे सरकारने फाळामां मदद करी हती. पोतानी छेल्ली अवस्थामा तेमणे पोताना निकट कुटुंबीजनो-के जेमनी आर्थिक स्थिति बहु ज साधारण प्रकारनी हती तेमने-रुपीआ १२ लाख व्हेंची आपवानी तेमणे व्यवस्था करी हती जेनो अमल तेमना सुपुत्र बाबु बहादुर सिंहजीए को हतो. ___ बाबू डालचंदजीनुं गार्हस्थ्य जीवन बहु ज आदर्शरूप हतुं. तेमना धर्मपत्नी श्रीमती मन्नुकुमारी एक आदर्श अने धर्मपरायण पत्नी हता. पति पत्नी बने सदाचार, सुविचार अने सुसंस्कारनी मूर्ति जेवा हता. डालचंदजीनं जीवन बहु ज सादं अने साधुत्व भरेलु हतुं. व्यवहार अने व्यापार बनेमां तेओ अत्यंत प्रामाणिक अने नीति पूर्वक वर्तनारा हता. स्वभावे तेओ खूब ज शान्त अने निरभिमानी हता. ज्ञानमार्ग उपर तेमनी ऊंडी श्रद्धा हता. तत्त्वज्ञान विषयक पुस्तकोर्नु वाचन अने श्रवण तेमने अत्यंत प्रिय हतुं. क्रिस्न नगर कॉलेजना एक अध्यात्मलक्षी बंगाली प्रोफेसर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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