Book Title: Agam Sagar Kosh Part 03
Author(s): Deepratnasagar, Dipratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 16
________________ [Type text] आगम-सागर-कोषः (भागः-३) [Type text] ५७९। आ। णासकरणं-णासारिसादिरोगणासणत्थं णासकरणं। नि० | णिकाईयं-निकाचितम्। उत्त. १७४। ८९ । णिकायकाय-निकायकायः षडजीवनिकायः। दशवै. णासिऊणं-नंष्ट्वा । दशवे. ११॥ १३४॥ णासिक्कं-नासिक्यं, पारिणामिकीबद्धिदृष्टान्ते नगरम्। | णिक्कंकड-निष्कवचा, निरावरणाः। जम्बू. २११ निष्कआव०४३६। कटाः- निष्कवचा, निरावरणाः। औप. ११५) णासो-नियतं निश्चितं वाऽऽसनं-नामादिरचनात्मकं णिक्कंतारं-निर्गतः क्षेपणं न्यासः-निक्षेपः। उत्त०७२। कान्तारान्निष्कान्तारस्तन्निष्क्रमितारं वा। स्था० १९८१ णाह-नाथः-योगक्षेमकारिन्। ज्ञाता०१६७। णिक्क-सर्वथा विगतमलः। ज्ञाता०५३ णाहरा-सणप्फया। निशी० ८ आ। णिक्का-सारणी। निशी. ७२आ। अन्नेकवाडसंज-त्ताओ णित-निर्गच्छन्। ओघ. ९० निन्तो निर्गच्छन्। आव। णिक्का। निशी०७०आ। आव. २६५ णिक्किव-निष्कृपः-मम दुःखिताया अप्रतीकारत्। णिताणं-निर्गच्छत्। निशी० १२० आ। ज्ञाता० १६७ णिंदणया-निन्दनं-आत्मनैवात्मदोषपरिभावनम्। उत्त० | णिक्कोडणं-निष्कोटनं-बन्धनविशेषः। प्रश्न. ५६। णिक्कोरणं-मुहस्स अवणयणं णिक्कोरणं। निशी० १२१ जिंदुयं-निर्दृतं निर्यातं, मृतमिति। विपा० ५१। णिंदू-निन्दुः-म्रियमाणप्रजनिका स्त्री। आव० २०५१ णिक्खमइ-निक्षिप्यते। दशवै. १४१ निन्दुः-मृतापत्यप्रयूः। आव० ३६७। णिक्खमणं-निष्क्रमणम्। आव०५१४। णिप्फेडणं। णिंब- निम्बः, एकास्थिकवृक्षविशेषः। प्रज्ञा० ३१| निशी० २५८ आ। किंवोलियाए-निम्बगुलिका-निम्बफलं, निर्बोलिता णिक्खमे-निष्क्रमेत्-गच्छत्। उत्त० ५९। निमज्जि-ता। ज्ञाता० १९९। णिक्खित्तं- णाम गरलिगाबद्धं स्थापयति। निशी० ८३ णिअंसेइ-निवासयति-परिधापयति। जम्बू. १६१| णिक्खित्तचरगा-गोचरचर्यायामभिग्रहविशेषः। निशी. णिअग-निजकाः-मातापितृभ्रात्रादयः। जम्बू० २७० १२आ। णिअमो-नियमः शौचादिः। जम्बू. ५२२१ णिक्खिवति- गोपयति। निशी० ८३ आ। पहे मुञ्चति। णिअल्लओ-निजकः। दशवै.१११ निशी० २१३ अ। गोपयति। नि० ८३ अ। णिइंति-निर्यान्ति-निर्गच्छन्ति। प्रश्न. ११५ णिक्खुडं- निष्कुटं भागम्। जम्बू० २५५ निष्कुटकोणवणिइयं-नैत्यिक-सार्वदिकमवस्थितं र्तिभरतक्षेत्रखण्डरूपम्। जम्बू. २१८१ मनुष्यपोषादिप्रमाणम्। प्रश्न० १५४ णिक्खुडाणि-निष्कुटानि-अवान्तरक्षेत्रखण्डरूपाणि। णिउडुक्कुडिया-निकृत्युत्कटता। आव २०६। जम्बू० २१८१ णिउण-निपुणम्। प्रश्न० ३६। सुहुमो। निशी० १३ अ। णिक्खेवगणिक्खित्तं-निक्षेपकनिक्षितम्। आव०६७। णिउत्तो-नियुक्तः। आव० ८१९) णिगओ-निगमः-वणिग्जननिवासः। प्रश्न. ५२। निगमः णिउर-वृक्षविशेषः। ज्ञाता० १६१। कारणिकः, वणिग् वा। औप०१४। निगमःणिओइओ-चोदितो। निशी० ९१ अ। प्रभूततरवणिग्वर्गावासः। प्रज्ञा०४७ णिओगी-नियोगी-कृत्यकरः। उत्त० ३०५१ णिगमण-निगमनं-प्रतिज्ञाहेत्वोः पुनर्वचनं निगमनम्। णिओगे-नियोगः-उपकरणम्। जम्बू०४०३। दशवै०६२ णिओदणं-भिक्खकरो। निशी० ३२८ अ। णिगमा-निगमः-कारणिकाः, वणिजः। जम्बू. ११० णिकट्ठा-निकृष्टा-कोशावहिष्कता असियष्टिः। ज्ञाता० | वणिग्विशेषाः। बृह. ४५अ। णिगरिअ-निगरितं-सारिकृतम्। जम्बू. १११| २३९ मुनि दीपरत्नसागरजी रचित [16] "आगम-सागर-कोषः" [३]

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