Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 02
Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
शाताधर्मकथासूत्रे - मूलम्-तएणं ते महब्बलवज्जा छप्पिय देवा ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिईक्खएणं अणंतरं घयं चइत्ताइहेवजंबूद्दीवे दीवे भारहे वासे विसुद्धपिइमाइसेसु रायकुलेसु पत्तेयं पत्तेयं कुमारत्ताए पच्चायायासी, तं जहा पडिबुद्धी इक्खागराया, चंदच्छाए अंगराया, संखे कासिराया, रुप्पी कुणालाहीवई,अदीणसत्तूकुरुराया, जितसत्तू पंचालाहिवई॥ सू०९ ॥
टीका-'तएणं ते' इत्यादि । ततस्तदनन्तरं ते महाबलवाः षडपि देवास्तस्माद् देवलोकाद् जयन्ताद् विमानाद् । 'आउक्खएणं' आयुः क्षयेण-देवसम्बन्धिन आयुष्कर्मदलिकनिर्जरणेन, देवसम्बन्ध्यायुः क्षयेण · भवक्खए ' भवक्षयेण भवनि बन्धनभूतकर्मणां गत्यादीनां निर्जरणं । ठिइक्खएणं' स्थितिक्षयेण=देवसम्बन्धि स्थितिक्षयेण तेनानन्तरं चयं देवशरीरं त्यक्त्वा इहैव जम्बूद्वीपे नाम्नि द्वीपे
'तएणं ते महब्बलषज्जा छप्पियदेवा' इत्यादि । टीकार्थ-(तएणं ) इसके बाद (ते महब्बल वज्जिया) महाबल के सिवाय वे ( छप्पिय देवा ) छहों देव ( ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिहक्खएणं) उस देवलोक से जयन्त विमान से-देवलोक संबन्धी आयु कर्म के दलिको की निर्जना हो जाने से अर्थात् देव पर्याय संबन्धी आयु के क्षय हो जाने से भव के कारण भूत गत्यादि कों की निर्जना हो जाने से स्थिति के क्षय हो जाने से ( अणंतरं ) उसी समय (चयं चइत्ता) देव शरीर को छोड़कर (इहेव जंबूद्दीवे दीवे भारहे वासे ) इसी जंबू द्वीप नाम के द्वीप में, भारतवर्ष में-भरत क्षेत्र में
'तएण ते महब्वल बज्जा छप्पिय देवा ' त्या
EAstथ-(तएण) त्या२माह ( ते महब्बल वज्जिया) भाडामा सिवाय ते (छपियदेवा) छ । (ताओ देवलोगाओ आउक्खएण भवक्खएण ठिइक्खएण) તે દેવલેકના જયંત વિમાનથી દેવલેક સંબંધી આયુ કમને દલિકાની નિર્જરા થઈ જવાથી એટલે કે દેવ પર્યાય સંબંધી આયુષ્ય ક્ષય થવાથી ભવના કારણ ભૂત ગતિ વગેરેની નિજર થઈ જવાથી, સ્થિતિનો ક્ષય હોવાથી (अर्णतरं) त समये४ (चयंचइता ) हे शरीरने छ।डीने (इहेव जंबूहोवे दीवे भारहे वासे) यूद्वीप नामना ४ दी५मां-भारत वर्ष मां-भरत क्षेत्रमा
For Private And Personal Use Only