Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 02
Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 772
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शीताधर्मकथाजस्त्र नो प्रत्येति, नो रोचयति, अश्रदधानः, अप्रतियन् , आरोचमानः, 'अब्भंतरठाणिज्जे ' अभ्यन्तर स्थानीयान् स्वसमीपस्थितान् पुरुषान् शब्दयति, शब्दयित्वा एवमवदत्-गच्छत खलु यूयं हे देवानुप्रिय ! — अंतरावणाओ' अन्तरापणात्ग्राममध्यस्थित कुम्भकारहट्टात् नवघटकान् — पडए य' पटकांश्च जलगालनवस्त्रखण्डान् गृह्णीत यावद् उदकसंभारणीयैः उदकसंस्कारयोग्यैः द्रव्यैः संभारयतरूचिका विषय नहीं बनाया (असद्दहमाणे ३ ) इस प्रकार श्रद्धा रहित रुचि रहित, प्रतीति रहित बने हुए राजा जितशत्रुने (अभितरठाणिज्जे पुरिसे सहावेइ ) अपने पास में सदा रहने वाले पुरुषों को बुलाया (स. हावित्ता एवं वयासी) बुलाकर उनसे इस प्रकार कहा- ( गच्छहण तुब्भे देवाणुप्पिया । अंतरावणाओ नवघडए पडए य गेण्हह, जाव उदगसंभारणिज्जेहिं दव्वेहिं संभारेह ते वि तहेव संभारेंति, संभारित्ता जियसत्तूस्स उवणेति, उवणित्ता तएणं जियसत्तू राया तं उदकरयणं करयलंसि आसाएइ, आसायणिज्जं जाव सबिदियगाय पल्हायणिज्जं जाणित्ता सुबुद्धिं अमच्चं सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी ) हे देवानुप्रियों ! तुम जाओ और पाजोर से नवीन घडों को एवं जल छान ने के लिये वस्त्रों के खंडों को छन्नों को-ले आओ। यहां अन्तरापण का अर्थ "ग्राम के मध्य में स्थित कुम्हारों का हाट या सामान्य बाजार है। ऐसा ही अर्थ इस शब्द का पहिले किया गया है । यावत् उदक संस्कार योग्य द्रव्यों से ઉપર ન તો પ્રતીતિ પણ થઈ અને ન તે પ્રત્યે પિતાની અભિરુચિ બતાવી. ( असद्दहमाणे ३) सादी श्रद्धा, सथि मने प्रतीति २डित थये। रात तशत्रुमे (अभितरठाणिज्जे पुरिसे सदा वेइ) हमेशा यावीसे साचातानी पासे २डना। माणसाने माता-या (सद्दावित्ता एवं वयासी) मालावीन તેઓને આ પ્રમાણે કહ્યું. (गच्छहणं तुब्भे देवाणुप्पिया ! अंतरावणाओ नवघडए पडए य गेण्हइ जाव उदग संभारणिज्जेहिं दव्वेहि संभारेह ते वि तहेव संभारेंति, संभारित्ता जियसत्तस्स उवणे ति, उवाणित्ता तएणं जियसत्तराया तं उदकरयणं करयलंसी आसाएइ आसायणिज्जं जाव सबिदियगायपल्हायणिज्जं जाणित्ता सुबुद्धि अमच्चं सदावेइ, सदावित्ता एवं वयासी) હે દેવાનપ્રિયે ! તમે બજારમાં જાઓ અને ત્યાંથી નવાં માટલાઓ તેમજ પાણી ગાળવા માટે વસ્ત્રોના કકડા ખરીદી લાવે. “અન્તરાયણને અર્થ ગામની વચ્ચેનું કુંભારોનું બજાર કે સમાન્ય બજાર છે. પહેલાં પણ આ શબ્દને અર્થ આ પ્રમાણે જ કરવામાં આવ્યા છે. ત્યારબાદ પાણીને સ્વચ્છ બનાવવા For Private And Personal Use Only

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