Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 02
Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 814
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 1 www. kobatirth.org فراق श्रोताधर्म कथा खलु स नन्दो मणिकारश्रेष्ठी बहुजनस्यान्तिके एतमश्रुत्वा हृष्टतुष्टः 'धाराहरूकलंबगंपित्र ' धाराहत कदम्बक मित्र = मेघधाराभिराहतं यत्कदम्बकुसुमं तत्समूसियरोग कूवे ' समुच्छ्रितरोमकूपः समुल्लसित रोमरन्ध्रः संजातरोमाञ्च इत्यर्थः, परम उत्कृष्टं सायासोक्खमणुभवमाणे ' शात सौख्यमनुभवन् बहुजनकृतस्वात्मप्रशंसा श्रवणजनित शातगौरवोदयेनामन्दमानानन्दोल्लसित चिचः सन् विवरति आस्तेस्म ।। सू० ५ ॥ मूलम् - तएणं तस्स नंदस्स मणियारसेट्ठिस्स अन्नयाकयाई सरीरगंसि सोलस रोगायंका पाउन्भूया तं जहा - " सासे १, कासे २, जरे३, दाहे४, कुच्छिसूले५, भगंदरे ६ । अरिसा ७, अजीरएट, दिट्टिमुद्धसूले' ९-१० अरोअए ११” ॥ १ ॥ अच्छिवेयणा १२, कन्नवेयणा १३, कंडू १४, दउदरे१५, कोढे ? १६ । तरणं से गंदे मणियारसेट्टी सोलसहिं रोगायंकेहिं अभिभूए समाबे कोडुंबिय पुरिसे सद्दावेइ सदावित्ता एवं वयासी - गच्छह णं तुम्भे देवाणुपिया ! रायगिहे सिंघाडग जाब पहेसु महयार सदेणं उग्घो से माणा एवं वदह एवं खलु देवाणुप्पिया ! नंदस्स Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सब वक्तव्य यहां लगा लेना चाहिये । मणिकार श्रेष्ठी नंद अनेक जबों के मुख से इस अपनी प्रशंसा रूप अर्थ को सुनता तो सुन कर बहुत अधिक आनंदित एवं संतुष्ट बन जाता । मेव की धारा से आहत कदंब पुष्प के समान उस के शरीर भर में रोमांच हो आते। इस तरह अनेक जन कृत अपनी प्रशंसा के श्रवण से जनित शातगौरवोदय से अनन्द आनंद उल्लसित बना रहता | सूत्र ॥ ५ ॥ વિચરણ કરે છે-વગેરે અહીં પણ પૂર્વવત્ વર્ણન સમજી લેવું જોઇ એ. મણિકાર શ્રેષ્ઠિ નંદ ઘણા માણસાના મેાંથી પેાતાના વખાણ સાંભળતા ત્યારે બહુ જ નહિત અને સંતુષ્ટ થઈ જતા હતા. મેઘની ધારાએથી આહત કબ પુષ્યની જેમ તેનું શરીર ામાંચિત થઇ જતું હતું. આ રીતે ઘણુા માણસાના મુખેથી પોતાનાં વખાણ સાંભળીને તે શત ગૌરવાદયથી ખૂબ જ આનંદમાં મસ્ત तो हतो. ॥ सूत्र “” ॥ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844 845