Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 02
Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 751
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनगारधर्मामृतवषिणी टो० अ० १२ स्वातोदकविषये सुबुद्धिद्रष्टान्तः ६९५ यावत् सर्वेन्द्रियगात्रप्रहादनीयमस्ति । ततः खलु सुबुद्धिरमात्यो जितशत्रोरेतमर्थ नो आद्रियते यावत् तूष्णीकः सन्मौनः संतिष्ठते । ततः खलु जितशत्रुः सुबुदिममात्यं द्वितीयमपि तृतीयमपिवारमेवमवादीत्-अहो ! खलु हे सुबुद्धे ! इदं मनोशं तदेव यावत्सर्वेन्द्रियगात्रप्रहादनीयम् , ततः खलु स सुबुद्धिरमात्यः जितशत्रुणा द्वितीयमपि तृतीयमपि वास्मेवमुक्तः सन् जिनशत्रु राजानमेवमवादीत्-नो उववेए जाव पल्हायणिज्जे ) हां स्वामिन् ! जैसा आप कहते हैं आहार वैसा ही था। वह बड़ो ही मनोज्ञ एवं शुभवर्ण से युक्त था। यावत् समस्त शरीर एवं इन्द्रियों को आनन्द पहुँचाने वाला था ! (तएणं जितसत्तू सुबुद्धिं अमचं एवं वयासी) अपनी बात का इश्वर आदि समस्त जनों द्वारा समर्थन प्राप्त कर राजा ने अपने अमात्य सुबुद्धि से भी यही बात कही कि ( अहो णं सुबुद्धी-इमे मणुण्णे असणं ४ जाव पल्हायणिज्जे) हे सुबुद्धे कहो, मनोज्ञ चतुर्विध अशनादि रूप यह आहार कितना अच्छा शुभ वर्णोपेत थावत् प्रह्लादनीय था ! (तएणं सुबुद्धी जियसत्तूस्सेयमढे णो आढाइ, जाव तुसिणीए संचिट्टई ) इस प्रकार राजा द्वारा आहार की प्रशंसा सुनकर उस सुबुद्धि अमात्य ने राजा की इस बातकी अनुमोदना नहीं की-प्रत्युत वह सुनकर चुपचाप ही बैठा रहा-(तएणं जियसत्तू सुबुद्धिं दोच्च पि तच्च पि एवं वयासी उववेए जाव पल्हायाणिज्जे) હા સ્વામિન ! ખરેખર જેમ તમે કહો છે તેમ આહાર પણ એવો જ હતે તે ખૂબ જ મનોજ્ઞ અને શુભવર્ણ વાળો હતો. યાવત્ સંપૂર્ણ શરીર અને छन्द्रियाने भान पाउना२ ते. ( तएण जितमत्तू सुबुद्धि अमच्चं एवं वयासी ) पोताना ४थन विशेश्व२ बोरे मामाथी समर्थन प्रा शन રાજાએ પિતાના અમાત્ય (મંત્રી) સુબુદ્ધિને પણ એજ વાત કહી કે (अहोणं सुबुद्धी इमे मणुण्णे असणं ४ जाव पल्हायणिज्जे) હે સુબુદ્ધિ ! બતાવે, મને જ્ઞ ચાર જાતને અશન વગેરે રૂપ આ આહાર કેટલે બધે શુભવણે યુક્ત યાવત્ આનંદ આપનાર હતે. (तएणं सुबुद्धी जियसत्तूस्सेयमट्टणो आढाइ जाव तुसिणीए संचिट्ठइ ) આ રીતે રાજાના મુખેથી આહાર વિશેનાં વખાણ સાંભળીને સુબુદ્ધિ અમાત્યે તે તેમની વાત ને ટેકો આપે નહિ પણ તે માત્ર મૂગો થઈને બેસી જ રહ્યો तएणं जियसत्तू मुबुद्धि दोच पि तचं पि एवं वयासी-अहो णं सुबुद्धी । इमे For Private And Personal Use Only

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