Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 02
Author(s): Kanahaiyalalji Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनगारधर्मामृतवर्षिणी टीका अ० ५ द्वारापतीनगरिवर्णनम् समये 'वारवई' द्वारावतीनाम द्वारकाऽपरनाम्नी नगर्यासीत् , सा कीशी इत्याह-पाईणपडीणायया' प्राची प्रतीच्यायता प्राचीतः प्रतीच्यामायता पूर्वस्या दिशः समारभ्य पश्चिमायां दिशि दीर्घत्यर्थः । 'उदीणदाहिणवित्थिन्ना' उदगदक्षिणविस्तीर्णा उत्तरस्यां दिशः समारभ्य दक्षिणस्यां दिशि विस्तीर्णा, 'नवजोयणविस्थिन्ना ' नवयोजनविस्तोर्णा, 'दुवालसजोयणायामा' द्वादशयोजनायामा द्वादशयोजनदोर्घा, 'धणवइमइनिम्मिया' धनपतिमतिनिर्मिता धनपतिः कुबेरस्तस्य मत्या बुद्धया निर्मिता, 'चामीयर-पवर-पागार-णाणामणि-पंचवन - कवि - सीसग - सोहिया' चामीकरप्रवरमाकारनानामणिपञ्चवर्णकपिशीर्षक शोभिता,चामीकरस्य प्रवरः प्राकारस्तस्य यानि नानामणिपश्चवर्णकपिशीर्षकानि तैः शोभिता, सुवर्णमयप्रकृष्टप्राकारस्य यानि चन्द्रकान्तादिविविधमणिमयानि पञ्चवर्णानि कपिशीर्षकाणि ' कंगुरा' इति भाषाप्रसिद्धानि, तैः शोभिता 'अळ्यापुरिहै-(तेणं कालेणं तेणं समएणं वारवईनामं नयरी होत्था ) उस समय
और उस काल में द्वारावती नामकी नगरी थी ( पाईण परीणायया) यह नगरी पूर्व दिशासे पश्चिम दिशा तक लंबी थी और ( उदीणदाहिण वित्थिना ) उत्तरदिशा से लेकर दक्षिण दिशा तक विस्तर्ण थी। (नवजोयणविस्थिन्ना) नौ योजन का इसका विस्तार था (दुवालसजोयणायामा) १२ बारह योजन की यह लंबी थी । (धणवइमइ निम्मिया) धनपति- कुबेर ने इसे अपनी बुद्धि से बनाया था ( चामीयर पवर पागारणाणामणि पंचवन्न कविसीसग सोहिया) इसका जो प्राकार (दिवार) था वह सुवर्ण से निर्मित हुआ था। तथा इसके जो कंगूरे थे वे पंचवर्णवाले नाना मणियों से बनाये गये थे । अतः प्राकार और उसके कंगूरों से यह नगरी बड़ी सुहावनी लगती थी । (अलपापुरी संकासा) छ, ( तेण काले ण तेण समएणं वारवइ नाम नयरी होत्था) ते आणे अन ते समये वापती नामे नारी उती. (पाईण परीणायया ) मा नगरी पूर्वथा भासन पश्चिम दिशा सुधा भी मन (उदोण दाहिण विधिन्ना) उत्तर दिशाथी भासन क्षि हिशा सुधी पडी उती. ( नव जोयणवित्थिन्ना ) नव योन संधी नगरीमा विस्तार हता. ( दुवालसजोयणायामा ) मा२ योन समीत Giमी ती. (धणवइमइनिम्मिया) धनपति-२ मा नगरी ने पोतानी मुद्धिथी मनावी ती ( चामीयरपवरपागार - णोणामणि - पचवन्नकविसीसगसोहिया ) ते શહેરને કેટ (પ્રાકાર) સોનાથી બનાવવામાં આવેલ હતું. તેના કાંગરાઓ પાંચ રંગના અનેક મણિઓ વડે બનાવવામાં આવ્યા હતા. કોટ અને કાંગ शमाथी ते नगरीमती ती. (अलयापुरीसंकासा) पुरी (अमेरनगरी)
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