Book Title: Tattvartha Sutra Jainagam Samanvay
Author(s): Atmaram Maharaj, Chandrashekhar Shastri
Publisher: Lala Shadiram Gokulchand Jouhari
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तत्त्वार्थसूत्रजैनाऽऽगमसमन्वयः
गर्भव्युत्क्रान्तः चतुष्पदस्थलचरपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकानां पृच्छा ?
जघन्येन अन्तर्मुहूर्त उत्कर्षण त्रीणि पल्योपमानि । भाषा टीका-स्थलचरों की जघन्य आयु अन्तर्मुहुर्त तथा उत्कृष्ट आयु तीन पल्य होती है।
प्रश्न–गर्भ जन्म वालों, चौपायों, स्थलचरों, पंचेन्द्रियों तथा अन्य तिर्यचों की कितनी आयु होती है ?
उत्तर-जघन्य अन्तर्मुहुर्त तथा उत्कृष्ट तीन पल्य ।
संगति-यहां भी सूत्र और आगम वाक्य में बिल्कुल एक प्रकार के ही शब्द कहे गये हैं।
इति श्री-जैनमुनि-उपाध्याय-श्रीमदात्माराम महाराज-संगृहीते
तत्त्वार्थसूत्रजैनाऽऽगमसमन्वये तृतीयाऽध्यायः समाप्तः ॥ ३ ॥ *