Book Title: Tattvartha Sutra Jainagam Samanvay
Author(s): Atmaram Maharaj, Chandrashekhar Shastri
Publisher: Lala Shadiram Gokulchand Jouhari
View full book text
________________
परिशिष्ट नं. २
-.:तत्त्वार्थ सूत्र भाषा
(सूत्रों का मर्थ)
प्रथम अध्याय मोक्षमार्ग का वर्णन१-सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और सम्यक् चारित्र यह तीनों मिला कर मोक्ष का
मार्ग है। सम्यग्दर्शन२–तत्त्व के (जो पदार्थ जिस रूप में विद्यमान है उसके उसी) अर्थ का श्रद्धान
करना सम्यग्दर्शन है। ३-वह सम्यग्दर्शन दो प्रकार से उत्पन्न होता है
स्वभाव से और अधिगम (दूसरे के द्वारा ज्ञान दिया जाने) से । सात तत्व४-तत्त्व सात हैं
जीव, अजीव, आस्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा और मोक्ष । उनको जानने के साधन५-नाम, स्थापना, द्रव्य (भूत भविष्य की अपेक्षा वर्तमान में कथन करना)
और भाव (वर्तमान काल की अपेक्षा कयन) से उन सम्यग्दर्शन मादि
तथा सात तत्वों का न्यास अर्थात् लोक व्यवहार होता है। ६-प्रमाण और नय से भी उनका ज्ञान होता है।