Book Title: Tattvartha Sutra Jainagam Samanvay
Author(s): Atmaram Maharaj, Chandrashekhar Shastri
Publisher: Lala Shadiram Gokulchand Jouhari
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तत्त्वार्थसूत्रजैनाऽऽगमसमन्वयः
बन्धबधच्छेदातिभारारोपणानपाननिरोधाः
७, २५. थूलस्स पाणाइवायवेरमणस्स समणेवासएणं पंच अइयारा पेयाला जाणियव्वा, न समायरियव्वा । तं जहा-वहबंधच्छविछेए भाभारे भत्तपाणवोच्छेए ।
उपा० अ० १. छाया- स्थूलस्य प्राणातिपातवेरमणस्य श्रमणोपासकेन पञ्चातिचाराः
प्रधानाः ज्ञातव्याः । न समाचरितव्या । तद्यथा-बधबन्धछविछेदः
प्रतिभारः भक्तपानव्यपछेदः। भाषा टीका- स्थूल हिंसा का त्याग करने वाले श्रावक का पांच प्रधान अतिचार आनने चाहिये । उनको कभी न करे । वह यह हैं-मारना, बांधना, शरीर छेदना, भस्यन्त बोझा लादना और अपने आधीन को अन्न पानी न देना।।
मिथ्योपदेशरहोभ्याख्यानकूटलेखक्रियान्यासापहारसाकारमंत्रभेदाः।
७, २६. थूलगमुसावायस्स पंच अइयारा जाणियव्वा । न समारियव्वा । तं जहा-सहसाभक्खाणे रहसाभक्खाणे, सदारमंतभेए मोसोबएसेए कूडलेहकरणे य ।
उपा० अ० १. छाया- स्थूलमृषावादस्य पञ्चातिचाराः ज्ञातव्याः, । न समाचरितव्याः।
तद्यथा-सहसाभ्याख्यानं, रहोभ्याख्यानं, स्वदारमंत्रभेदः मृषोपदेशः
कूटलेखकरणश्च । भाषा टीका- स्थूल झूठ के पांच अतिचार जानने चाहिये । उनको कभी न करे। वह यह हैं-बिना सोचे एक दम कह देना, गुप्त बात कह देना, अपनी स्त्री के गुप्त भेद को प्रगट करना, झूठ बोलने का उपदेश देना, झूठी दस्तावेज लिखना।