Book Title: Tattvartha Sutra Jainagam Samanvay
Author(s): Atmaram Maharaj, Chandrashekhar Shastri
Publisher: Lala Shadiram Gokulchand Jouhari
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तत्वार्थ सूत्र जैनाऽऽगमसमन्वय :
३७ – भवन वासियों की जघन्य आयु भी दश हजार वर्ष है । ३८ – व्यन्तरों की जघन्य आयु भी दश हजार वर्ष है । ३९ - व्यन्तरों की उत्कृष्ट आयु एक पल्य से कुछ अधिक है ।
४० - ज्योतिष्कों की उत्कृष्ट आयु भी एक पल्य से कुछ अधिक है ।
४१ - ज्योतिष्कों की जघन्य आयु पल्य का आठवां भाग है।
४२ - सभी लौकान्तिक देवों की उत्कृष्ट और जघन्य आयु आठ सागर है ।
पंचम अध्याय
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के द्रव्य१ – धर्म, धर्म, श्राकाश और काल अजीवकाय अर्थात् अचेतन और बहुप्रदेशी पदार्थ हैं ।
२ – उक्त चारों पदार्थ द्रव्य हैं ।
३- जीव भी द्रव्य हैं ।
४ - यह सब द्रव्य [ इसी अध्याय के ३६ में सूत्र के काल द्रव्य सहित ] नित्य अर्थात् कभी न नष्ट होने वाले, अवस्थित अर्थात् संख्या में न घटने बढ़ने वाले और रूप हैं ।
५ - किन्तु इनमें से केवल पुद्गल द्रव्य रूपी हैं ।
६ - धर्म द्रव्य, अधर्म द्रव्य, और आकाश द्रव्य एक २ ही हैं।
७ – यह तीनों ही द्रव्य निष्क्रिय भी हैं ।
द्रव्यों के प्रदेश-
[ किन्तु लोकाकाश के श्रसंख्यात प्रदेश हैं ] | अनुसार ] संख्यात, असंख्यात और अनंत हैं । ११ - पुद्गल परमाणु के एक प्रदेश मात्रता होने से प्रदेश नहीं कहे गये हैं ।
5- - धर्म, अधम और एक जीव द्रव्य के प्रदेश असंख्यात २ हैं । E -- काश के अनन्त प्रदेश हैं १० - पुद्गलों के प्रदेश [स्कन्धों के