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७. साध्य के लिये कौन प्रयत्न करता है ? ८. साध्य क्या है ?
६. संयम : यथार्थ साधन ।
१०. साध्य को कौन पाता है? ११. आत्मा ही परमात्मा । १२-१३. मुक्ति का बाधक – शरीर । १४-१५. विकार - शमन के उपाय । १६-१७. चार प्रकार के व्यक्ति ।
१८. सम्यक् - असम्यक् क्या ? १६. कर्म का स्रोत सर्वत्र ।
२०. मुक्ति और बन्धन के कारणों में अन्तर नहीं ।
२१. परम साध्य का स्वरूप ।
२२. साधना का उपयुक्त क्षेत्र ।
२३-२५. श्रमण, ब्राह्मण, मुनि, तापस का यथार्थ स्वरूप | अध्यात्म की प्रधानता का निदर्शन ।
२६. भगवान ऋषभ के समय न कोई जाति, न वर्ण-व्यवस्था | १९२७-२८. जातिवाद अतात्विक ।
२६-३०. आत्म- तुला का दर्शन ।
३१-३६. कौन मनुष्य सन्मार्ग से च्युत नहीं होता ?
३७. आत्म-साधक सर्व साधक ।
३८. एकान्तदृष्टि अवांछनीय | ३६. धर्मलीनता ही आत्म-साधना ।
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कर्म-बोध (श्लोक ४३)
१. गृहस्थ मोक्ष की आराधना कैसे कर सकता है ?
२. अनासक्त गृहस्थ मोक्ष का अधिकारी ।
३. आशा का त्याग : मोक्ष की आराधना ।
४. त्याग का अधिकारी ।
५. यथार्थ त्यागी ।
६. आशा का सर्वथा त्याग संभव ।
७. आशा का त्याग : अगार धर्म ।
अध्याय
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( सत्ताईस ).
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३०८-३२६.
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