Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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अनंगारधर्मामृत पिणोटी० अ० ८ कोसलाधिपतिस्वरूपनिरूपणम्
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ततस्तदनन्तर खलु प्रतिबुद्धिस्त श्रीदामकाण्ड सुचिर काल = बहुकाल निरीक्षते एकाग्रमनमा पश्यतिस्म । निरीक्ष्य तस्मिन् श्रीदामकाण्डे जातविस्मयः ' अपूर्वदृष्टमिद श्रीदामकाण्ड ' मित्याश्चर्यं प्राप्तः सन् सुबुद्धि-सुबुद्धिनामक ममात्य= स्वमन्त्रिणम्, एव = पक्ष्यमाणप्रकारेण अवादीत् - हे देनानुमियत्व खलु मम ' दोच्चेण ' दोस्थेन= तो भूला बहून् यावत् ग्रामाकरनगरसनिवेशान् अहिण्डसि = परिभ्राम्यसि, बहूनि च राजेश्वर तलवरमाडम्पिककौटुम्बिकश्रेष्ठि सेनापतिमार्यवाहाना यावद् गृहाणि अनुप्रविशसि, तदस्ति खलु स्वया दृष्टपूर्वं को देखा । (तएण पडिबुद्धि त सिरीदामगड सुइर काल निरिक्खड़, निरिक्खित्ता तसि सिरिदामगडसि जाय विम्यमणे सुबुद्धि अमच्च एव वयासी) देखने के बाद प्रतिबुद्धि राजा ने बहुत देर तक उस का सूक्ष्म दृष्टि से निरीक्षण किया ।
निरीक्षण करने के बाद उसे उस श्रीदामकाण्ड के विषय में बड़ा आश्चर्य हुआ। आश्चर्य युक्त होकर उसने अपने सुबुद्धि मंत्री से फिर इस प्रकार कहा- तुम पण देवाणुपिया | मम दोच्चेण बहणि गामागर जाव गिहाइ अणुपविससि त अस्थि ण तुम कहिंचि एरिसए सिरिदामगडे दि पुच्वे जारिस ण इमे पउमावईए देवीए सिरिदामगडे )
हे देवानुप्रिय ! तुम मेरे दूत होकर अनेक ग्रामों में अनेक आंकरों में, अनेक नगरो में अनेक सनिवेशो में घूमते फिरते हो वहां बहुत से राजा, ईश्वर, तलवर, माडम्पिक, कौटुम्बिक, श्रेष्ठी सेनापति और सार्थवाहों के घरों मे भी आते जाते रहते हो, तो क्या तुमने ऐसा
( वग पडिबुद्धि त सिरीदामगड सुइर काल निरिक्खड़, निरिक्खित्ता तसि सिरिदामगडसि जाय विम्यमणे सुबुद्धिं अमच्च एव वयासी )
તેને જોઇને પ્રતિબુદ્ધિ રાજાએ સૂક્ષ્મ દૃષ્ટિથી બહુ વખત સુધી તેનુ નિરીક્ષજી કર્યુ
રાજાને શ્રીદામકાર્ડ જોઈને ખૂબજ આશ્ચય થયુ તેમણે પોતાના મંત્રી સુબુદ્ધિને આ પ્રમાણે હ્યુ
( तुमन्न देवाणुपिया ! मम दोच्वेग वहूणि गामागार जान गिहाई अणु परिससित अयितुम कर्हिचि एरिसए सिरिदामगडे दिट्टपुच्वे जारिसएण इमे पउमाबाई देवीए सिरिदामगडे )
હે દેવાનુપ્રિય ! મારાતા થઇને તમે ઘણા ગામે, આકરી નગરી અને સનિવેશેામાં ફરતા રહેા છે, ત્યા ઘણા રાજા ઈશ્વર, તલવર, માડ મિક કૌટુ બિક, શ્રેષ્ઠી, સેનાપતિ અને સાવાલેના નિવામ સ્થાનમાં પણ આવાગમન