Book Title: Gnatadharmkathanga Sutram Part 02
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 1064
________________ माताधर्मकथा माना घटादिभिर्नयन् चान्योन्यमेवमवाढीव-धन्यः खलु हे देवानुमियाः नन्दो मणिकारश्रेष्ठी कृताथो यावत्-मुलब्धजन्मीरितफल, यस्य सलु इयमेतद्रूपा नन्दा-नन्दानाम्नी, पुष्फरिणी चतुष्कोणा यावत् प्रतिस्पा वर्तते 'जिस्साण' यस्या खलु पुष्करिण्याः पौरस्त्ये तदेव सर्व चतुर्वपि वनपण्डेपु यावत्-राजगृहविनिर्गतो यत्र बहूजन आसनेषु च शयनेषु च सनिष-सम्यमकारेणोपविष्टश्च 'सतुयहो' सत्वग्टत्ता-शयित• कृतपार्थपरिवर्तनश्च, ' पेच्छमाण ' प्रेक्षमाणः वनपण्डश्रिय पश्यन् 'साहेमाणो' कथयन्-तद्विपयककथा कुर्वन् श्लाघयन् वा मुख मुखेन अतिसुखेन विहरति । तत्-तस्माद् धन्यः कृतार्थ कृतपुण्यः कृतानन्दो नन्दमणिकारश्रेष्ठीलोके सुलव्य मानुप्याजन्मजीवितफल यस्य नन्दस्य मणिका भरने वाला प्रत्येक जन आपस में इस प्रकार से बात चीत किया करता कि हे भाई 1 मणिकार श्रेष्ठी नद को धन्यवाद है । वह कृतार्थ हो गया। उसने अपने जन्म और जीवन का फल अच्छी तर से पा लिया कि जिसमे यह चारकोनों वाली यावत् प्रतिरूप नदा नाम की सुन्दर वापिका बनवाई है । और उसके चारों ओर चार वनखड बनवाये हैं। पूर्व दिशो सबन्धी वनपड में एक विशाल चित्रसभा पनवाई है इत्यादि रूप से पहिले का कहा गया सब सबन्ध यहाँ समझ लेना चाहिये। इन चार वनपडीमें यावत् राजगृह नगरसे निर्गत प्रत्येक जन बिछे हुए आसनो पर शयनो पर बैठ कर, लेट कर, वनपड की शोभा का निरीक्षण करता हुआ, तद्विपयक कथा-वार्ता-करता हुआ बड़े आनद के साथ विचरण करता है। (त धन्ने कयत्थेकयपुन्ने कयाणदे लोए ! सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले नदस्स मणियारस्स तएण શ્રેણી નદને ધન્યવાદ છે તે કૃતાર્થ થઈ ગયો છે તેણે પિતાના જન્મ જીવ નનુ ફળ સારી રીતે મેળવી લીધુ છે કેમકે તેણે આ ચાર ખૂણાઓવાળી પ્રતિરૂપ વગેરે ગુણોથી યુક્ત એવી ન દા નામે રમ્ય વાવ બનાવડાવી છે અને વાવને ચારે બાજુએ ચાર વનષ ડે બનાવડાવ્યા છેપૂર્વ દિશા તરફના વન ષડમાં એક વિશાળ ચિત્રસભા બનાવડાવી છે, વગેરે પહેલાની જેમજ અહીં સમજી લેવું જોઈએ એ ચારે વનડેમાં રાજગૃહ નગરથી આવીને માણસો આસને તેમજ શયને ઉપર બેસીને, સૂઈને અને વનષડની શોભાને જોતાં, તવિષયક કથા-વાર્તા-(વનપડ સ બધી વખાણો) એટલે કે ચર્ચાઓ કરતા सुमेथी वियर ४२॥ २ छ (त धने कयाथे कयपु ने कयादे लोए । सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफळे नदस्स मणियाररस तएण रायगिहे सिधा - Im डग जाव बहुजणो अन्नमन्नरल एवमाइक्सद्द ४ धन्नेण मेला

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