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प्रथम दादागुरु देव पूजा
मंत्रॐ ह्रीँ श्रीँ अहं परम पुरुषाय परमगुरु देवाय भगवते जिनशासनोद्दीपकाय दादा श्रीजिनदत्त सूरीश्वराय जलं यजामहे स्वाहा ।।
२-चन्दन पूजा
दहा--
श्रीगुरु चन्दन वृक्षतें, त्रिविध ताप मिट जाय ।
यातें चन्दन पूजना, करो सदा सुखदाय ॥ तर्ज-जिनधर्म का डंका आलम में बजवा दिया वीर जिनेश्वर ने मिथ्यात्व कुवास को दूर किया,
__दादागुरु दत्तसूरीश्वर ने। जिनधर्म सुवास विशेष यहाँ,
फैला दिया दत्तसूरीश्वर ने ॥ टेर ॥ जब धर्म के नाम यहां भारी,
पाखण्ड जमाया जाता था। निर्भय हो उसको दूर किया,
तब युगवर दत्तसूरीश्वर ने ॥ मिथ्या० ॥२॥ जब रातमें वेश्याएँ नाटक,
जिन मन्दिर में नित करतीं थीं।
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