Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

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Page 94
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चतुर्थ दादागुरु देव पूजा (तर्ज-प्रभु धर्मनाथ मोहे प्यारा, जगजीवन मोहनगारा ) (राग-बनझारा ) जिनचन्द्र गुरु जयकारी, नित पूजो जग उपकारी । गुण ज्ञान-क्रिया-अविकारी,निज जीवन विकसित कारी।।टे।। गुरु जेशलमेर विराजें, गणनायक पद-गुण ताजे । सोलह सो बारह-साले, चौमासा धर्म-प्रचारी ।। जिन चन्द्र गुरु जयकारी० ॥ १ ॥ वच्छावत सिंह संग्रामा, मन्त्री विनती गुणधामा । गुरु बीकानेर पधारे, उत्सव के ठाठ अपारी ॥ जिन चन्द्र गुरु जयकारी० ॥२॥ मन्त्री घुडशाला भारी, गुरु संयम शुद्धाचारी । मत्थेरण शिथिलाचारी, गुरु साधु क्रिया सुधारी ॥ जिन चन्द्र गुरु जयकारी० ॥ ३ ॥ गुरु महेवा में चौमासी, तपस्या होवे छम्मासी॥ जिन शासन जगति प्रकाशे, गुरु योग-तपोबलधारी ॥ जिनचन्द्र गुरु जयकारी० ॥ ४ ॥ ग्रामानुग्राम विहारे, गुरु पाटण नगर पधारे। वहां सागर चर्चाकारी, विजयी गुरु जय विस्तारी॥ जिनचन्द्र गुरु जयकारी० ॥ ५ ॥ For Private And Personal Use Only

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