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दादागुरु देव पूजा संग्रह
३६
७-नैवेद्य पूजा।
दहा
मन-मोदक मधुरातमा, श्रीसद्गुरु महाराज ।
पूजो नित नैवेद्य से, पाओ शिवपुरराज ॥ (तज-तुम्हारे पूजन को भगवान् बना मन मंदिर आलीशान )
गुरु मणिधारी वांछितदान ।
करें नित पूजो चतुर सुजान ।। टेर । जिनकी महिमा अपरंपारी, जीवन घटना जय जयकारी । श्रवण कर पीलो अमृतपान, भरे बल औजस पुण्यप्रधान ॥
गुरु मणिधारी वांछितदान० ॥१॥ विचरते मणियाले मुनिनाथ, संघ सेवा में रहता साथ । पधारे गांव सु बोरसिदान,म्लेच्छ वहँ आये काल समान ॥
गुरु मणिधारी वांछितदान० ॥ २ ॥ डरो मत धीर बनो नरनार ! तुम्हारे सद्गुरु हैं रखवार। देकर यह आश्वासन दान, सुरेखा खींची किला-समान ।।
गुरु मणिधारी वांछितदान० ॥३॥ पापी म्लेच्छ हुए गुमराह, गुरु की यौगिक शक्ति अथाह । दिया गुरु ने बस जीवनदान,हुए नर नारी निर्भय प्रान॥
गुरु मणिधारी वांछितदान० ॥ ४ ॥
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