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दादागुरु देव पूजा संग्रह
( तर्ज-कमली वाले ने० ) जिन धर्म का डंका आलम में, बजवाया चंद सूरीश्वरने । अकबर जिनमत अनुरागी कियासदगुरु जिनचंद्रसूरीश्वरने।
॥ टेर॥ अकबर सुत शाहि सलीम सुता. मूला में जनमी दोष महा। शांति हित शांति सनात्र रचाई, सद्गुरु चन्दसूरीश्वरने ।
जिन० ॥१॥ दश सहस रुपैये मंदिर में, अकवर ने सादर भेंट किये । जिन शासन गौरव खूब बढाया, श्रीगुरु चंद सूरीश्वरने ॥
जिन० ॥ २ ॥ निधि वेद ऋतु भू मित वर्षे,अकबर आग्रह को लेकर के। लाहोर में चौमासा ठाया, गुरुवर जिनचन्द सूरीश्वरने ॥
जिन० ॥३॥ म्लेच्छों से तीरथ रक्षा हित,अकबर को पावन बोध दिया। तीरथ-रक्षा फरमान-पत्र, लिखवाये चन्द सूरीश्वरने ॥
जिन० ॥ ४॥ काश्मीर विजय को जाते हुए, अकबर ने गुरु दर्शन चाहा। दे आशीर्वाद प्रसन्न किया, उपकारी चन्द-सूरीश्वरने ।
जिन० ॥ ५॥ आषाढी नवमी से पूनम, तक अपने बारह सूबों में । अकबर से जीवदया फरमान, लिखाये चन्द सूरीश्वरने ॥
जिन० ॥६॥
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