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दादागुरु देव पूजा संग्रह ५-दीपक पूजा।
दूहागुरु दीपक पूजा करो, प्रकटे परम प्रकाश ।
दीपक गुण विस्तारतें, हृदय तिमिर हो नाश ॥ (तर्ज-प्रभुधर्मनाथ मोहे प्यारा जगजीवन मोहन गारा )
* राग वनजारा * पूजो पूजो परम गुरु प्यारे,
जिनदत्त जगत रखवारे । टेर॥ अम्बा अक्षर लिख देती, नागदेव को श्रीमुख कहेती। जो बांचे गुण अनुसारे, सो युगवर पद गुण धारे।।
पूजो पूजो परम गुरु० ॥ १ ॥ जब कोई नहीं पढ़ पाया, तब श्रीगुरु को दिखलाया। निज वास चूर्ण गुरु डारे, पढ़ चेला वचन उचारे ॥
पूजो २ परम गुरु० ॥२॥ जय जय जिनदत्त प्रधाना, मरुधर में कल्प समाना । सुर सेवक सेवा सारे, सब दुःख दुर्गति को बारें॥
पूजो २ परम गुरु० ॥ ३ ॥ गोहिल-डांभी अन्याये, मरुवासी जब दुःख पाये ॥ जशा-पोकर विप्र बिचारे, तब श्रीगुरुशरण सिधारे ।
पूजो २ परम गुरु० ॥ ४ ॥
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