Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

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Page 102
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चतुर्थ दादागुरु देव पूजा सुखसागर भगवान परमगुरु, जय-विजयी सरवंग । अक्षत भावे 'हरिनित पूजो, जीतो जीवन जंग पूजो०॥१०॥ श्लोकदिल्हीश्वराकबरबोधि-युगप्रधान दादाभिधान सुगुरो र्जिनचन्द्रसूरेः । पादारविन्द युगलं प्रकटप्रभावि, भन्याक्षतैविनयभावनतो यजेऽहम् । ॐ ह्रीँ श्रीँ अर्ह परमपुरुषाय परमगुरुदेवाय भगवते श्रीजिनशासनोद्दीपकाय अकबर सम्राट प्रतिबोधकाय युगप्रधान श्रीजिनचंद्रसूरीश्वराय अक्षतं यजामहे स्वाहा। ७-नैवेद्य पूजा दूहाद्रव्य-भाव पोषण करें, सद्गुरु-वर-परसाद । नित पूजो नैवेद्य से, भागे भूख अनाद ।। For Private And Personal Use Only

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