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दादागुरु देव पूजा-संग्रह ( तर्ज-जमुनाजी में खेले हरि राम लला )
दादागुरु पूजो धूप धरी, दुर्गन्ध अनादिकी जाय टरी।
दादागुरु पूजो धूप धरो । टेर ।। जिनदत्तगुरु आचार्य हुए.
जिनवल्लभ सद्गुरु पाटवरी ॥ दादा०॥ भविजन सुखिये जय जय उचरें,
गुरु देशना अमृत पान करी ॥दादा गु०॥१॥ जिनशेखर पर उपकार किया,
उसके अपराध सभी विसरी ॥ दादा० ।। मरुधर में प्रथम विहार किया,
विधि की वर ज्योति तभी पसरी ॥दादा०२॥ धनदेव को सद्गुरु बोध करें.
आगम विधि रीति विशेष करी ॥ दादा०॥ अजमेर में अर्णोराज नमें,
मन्दिर हित भूमिदान करी ।। दादा० ३॥ पावनगुरु बागड़ देश करें.
___ भविजन माने आनन्द घरी ॥ दादा० ॥ गुरु सन्मुख सविनय भाव भरे,
समकित सह विरति को उचरी दादा० ४॥
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