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तृतीय दादागुरु देव पूजा श्री गुरुपद पूजा करो, विशद भाव जलधार। पाप ताप मल दूर हो, आतम शान्ति अपार ॥ ८ ॥
(तजै-तुमको लाखों प्रणाम्) हो परम प्रभावक कुशल गुरु को लाखों प्रणाम । पाप ताप मलहारि गुरु को लाखों प्रणाम । टेर ॥
जिन शासत में जीवन दाता,
खरतर सुविहित विधि विधाता, कुशल कुशल गुण वाले गुरु को लाखों प्रणाम ॥१॥
वीर जिनेश्वर पाट पचासे,
परमेष्ठी पद पुण्य विलासे, युग प्रधान पद वाले गुरु को लाखों प्रणाम ॥२॥
भारत मरुधर मंडल पावन,
जन्म भूमि समियाणा धन धन, तीर्थ बनाने वाले गुरु को लाखों प्रणाम ॥३॥
ओसवाल वर वंश विभूषण,
पुनित छाजेड गोत्र अदूषण, कुल उजवालन वाले गुरु को लाखों प्रणाम ॥४॥
मंत्री जेल्हागर गुरु ताता.
सती जयतसिरी सद्गुरु माता, मन को हरने वाले गुरु को लाखों प्रणाम ॥ ५ ॥
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