Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

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Page 79
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दादागुरु देव पूजा संग्रह पंच महाव्रत धार, दादा सुविहित साधु । सद गुरु है वे सार आत्म के हित कारी || श्री जिन कुशल ० ॥ ३ ॥ धर्म अहिंसा मूल, दादा जिन आज्ञा में । धारक जो नर नार, होबे वे भवपारी ॥ श्री जिन कुशल ० ॥ ४ ॥ कुगुरु कुदेव कुधर्म, दादा त्याग करावे | समकित वर दे दान, अनहद आनन्द कारी ॥ ७१ श्री जिन कुशल० ॥ ५ ॥ निश्चय अरु व्यवहार, दादा भेद बतावे । निश्चय धरो दिन बीच, वर्तो थे व्यवहारी ॥ श्री जिन कुशल० || ६ || सुख सागर भगवान दादा कुशल गुरु की । महिमा अपरम्पार, गावे सब नर नारी ॥ श्री जिन कुशल ० || ७ || ॥ गुरु आज्ञा परिधान, भविजन जो कर पावे । सुर गणपति हरितास, गावे कीरति भारी || श्री जिन कुशल० ॥ ८ ॥ ( काव्यम् ) यः सद्गुणालंकृत पुण्य भावः दादाभिधानः कुशलाख्यसूरिः । For Private And Personal Use Only

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