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दादागुरु देव पूजा संग्रह
मन्त्र--
ॐ ही श्री अर्ह परमपुरुषाय परमगुरुदेवाय भगवते
जिनशासनोद्दीपकाय दादा श्रीजिनदत्तसूरीश्वराय अक्षतं यजामहे स्वाहा ॥
७-नैवेद्य पूजा।
दूहा
गुरु पूजो नैवेद्यसे, त्रिभुवन जन गुण गाय । अनाहारपद योगत, भूख सभी मिट जाय ।।
(तर्ज-बलिहारो बलिहारी बलिहारी० ) उपकारी उपकारी उपकारी दादा गुरु उपकारी,
नर नारी पूजो श्रीगुरु भावसे जी ॥ टेर ॥
जोगणियाँ चौसठ आवे, गुरुको छलने के दावे । किन्तु छलागई वे बिचारी ॥ दादा गुरु० ॥१॥
जोर न जब चला, बोलें कर जोरे अबला । हम गुरु दासी तुम्हारी ॥ दादा गुरु० ॥ २॥ ___सात वरदान देवें, गुरु तब छोड़ देवें। हैं गुरु पूरे ब्रह्मचारी ॥ दादा गुरु० ॥ ३॥
विक्रमपुरमें भारी, चारों दिशा में मारी। फैली जब हुई हाहाकारी ॥ दादा गुरु० ॥ ४ ॥
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