Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

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Page 70
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६२ तृतीय दादागुरु देव पूजा निज हितकर उपदेश दिया, गुरु दीपक कुशल सूरीश्वर ने। अज्ञान तिमिर० ॥ २॥ पंचेन्द्रिय विषम विषय त्यागी. नव विधवर ब्रह्म गुपतिधारी । कर पंचसमिति दी शुभ शिक्षा, गुरु दीपक कुशल सूरीश्वर ने ॥ अज्ञान तिमिर० ॥३॥ अध्यातम सम्यक् भाव भरें, सविवेक महावत पंच धरे । अपना परका कल्याण किया, गरु दीपक कशल सूरीश्वर ने ॥ अज्ञान तिमिर० ॥४॥ हैं दुश्मन चार कषाय उन्हें, झट तीनों गुप्ति में कैद किये। संयम पथ सुन्दर शुद्ध किया, गुरु दीपक कुशल सूरीश्वर ने। अज्ञान तिमिर० ॥ ५॥ युग धर्म विकाश विशेष किया, जग में जीवन संचार किया। कर दी प्रभावना शासन की, For Private And Personal Use Only

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