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दादागुरु देव पूजा संग्रह
( तर्ज - केसरिया थांसुं प्रीत लगी रे सच्चा भावसुं ) जीवन उजियालेपूजो मणियाले गुरुदेवको || टेर ||
ग्राम नगर पुर पावन करता, गणपतिगुरु जिनचन्दा | जिनशासन परकाशन करते, प्रतिबोधें भवि-वृन्दा रे || जीवन उजियाले ० || १ |
त्रिभुवनगिरि मरुकोट बादली, इन्द्रादिक पुर नामी । जिनालयों में कनक कलश ध्वज, करें प्रतिष्ठास्वामी रे ॥ जीवन उजियाले ||२||
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गुरु उपदेशामृत पी श्रावक - व्रत साधु- व्रत
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भीमपल्ली उच्चा – बब्बेरक आदिपुरों में भारी । उत्सवमय दीक्षा लें गुरु से, नर-नारी अधिकारी रे || जीवन उजियाले ० ||३||
उनमें नरपति भावी पटधर जिनपति थे जयकारी । मत्त वादी - मदमर्दनकारी, नैयायिक अविकारी रे ॥ जीवन उजियाले ० ||४||
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क्षेमन्धर ।
चैत्यवासी पद्मप्रभसूरि पिता साह गुरु से सुविहित बोध प्राप्त कर, हुआ भक्ति में तत्पर रे ॥ जीवन उजियाले ० ||५||
भविजन, आत्म लीनता धारी । धारें, धन धन वे नर नारी रे || जीवन उजियाले ० ||६|
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