Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

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Page 95
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दादागुरु देव पूजा संग्रह सोलह सो सतरे वरसे, कार्तिक सुद सातम दिवसे । सब गच्छी थे मध्यस्था, गुरु जय जय कोर्ति उचारी ॥ जिनचन्द्र गुरु जयकारी० ॥६॥ सागर ने अति अभिमाने, कई ग्रंथ लिखे मनमाने । वे जलशरणागति पाये, गुरु महिमा अपरंपारी ॥ जिनचन्द्र गुरु जयकारी० ॥७॥ जिनचन्द्र गुरु सुखसिध. भगवान अकारण बन्धु । है चरण-शरण सुखकारा, पूजों भवि सुमनस् धारी ॥ जिनचन्द्र गुरु जयकारी० ॥८॥ कमनीय कुसुम वरमाला, पूजो गुरु पुण्य विशाला। हरि सद् गुरु की बलिहारी, दें विकसित पद अविकारी ॥ जिनचन्द्र गुरु जयकारी० ॥६॥ श्लोक दिल्हीश्वराकबरबोधि-युगप्रधान, दादाभिधान सुगुरो र्जिनचन्द्रसूरेः। पादारविन्द युगलं कुसुमोपचारैः, सत्सौरभैरनुदिनं प्रणतो यजेऽहम् ॥ For Private And Personal Use Only

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