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दादागुरु देव पूजा संग्रह संघ चतुर्विध साथमें-मन मोहनजी । जीते वादी वृन्द-आनन्द कारीरे मनमोहनजी
गुणगिरुआ० ॥२॥ ग्यासुद्दीन आदिकहुए मनमोहनजी। बादशाह महा भाग-गुरु गुण रागीरे मनमोनजी
गुणगिरुआ० ॥३॥ म्लेच्छ उपद्रव जोकरे मनमोहनजी । दे प्रति रोधक फरमान-गुरु पर तापीरे मनमोहनजी
गुणगिरुआ० ॥ ४ ॥ जैनेतर शुद्धिकरें मनमोहनजी।। संख्या पच्चास हजार गुरु प्रभावीरे मनमोहनजी
गुणगिरुआ० ॥ ५ ॥ दशवर्षों तक गुरु रहें मनमोहनजी। श्री जेसलघर शृंगार-बोध अपारीरे मनमोहनजी
गुणगिरुआ ॥ ६ ॥ तीस वरष साध रहे मनमोहनजी । गुरु आज्ञा पालनहार-हो अनगारीरे मनमोहनजी
गुणगिरुआ० ॥ ७॥ बार वरस युगवर रहे मनमोहनजी । खरतर गण नायकखास-पुण्य प्रकाशीरे मनमोहनजी
गुणगिरुआ० ॥ ८॥
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