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दादागुरु देव पूजा - संग्रह
तत्पादपद्मद्वितयं यजेऽहं, सन्मोदकाद्य मधुरात्मभावः ॥
मन्त्र
ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह परम पुरुषाय परमगुरुदेवाय भगवते श्रीजिनशासनोद्दीपकाय नरमणि मण्डित
भालस्थलाय दादा श्रीजिनचन्द्रसूरीश्वराय नैवेद्यं यजामहे स्वाहा ॥
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४१
- फल पूजा ।
दूहा --
सद्गुरु सेवा मधुर फल, जो चाखें नर नार । जनम मरण को मेटकर, हो जाते भवपार || (तर्ज- शुं कहू कथनी म्हारी राज शुं कहू कथनी म्हारी ) चरण कमल बलिहारी नाथ ! जाऊं हे मणिधारी । पूजा फल अधिकारी नाथ ! पाऊ हे मणिधारी ॥ ढेर || धन्य धरातल धन्य घड़ी वह, विचरते जब स्वामी । दरशन धन धन वे नर पाते, जो होते शिवगामी || नाथ चरण कमल वलिहारी जाऊ हे मणिधारी नाथ ॥ १ ॥