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द्वितीय दादा गुरुदेव पूजा योगिनीपुर जो अब दील्ही है. उसके पास पधारे। गुरु विचरते भावी-खींचे भविजन काज सुधारें ॥
नाथ चरण कमल बलिहारी ॥२॥ सदगुरु महिमा को सुन पाये मदनपाल महाराजा। दर्शन कर हो हर्षित विनती, करते साथ समाजा॥
नाथ चरण कमल बलिहारी० ॥३॥ योगिनीपुर में नाथ पधारो, बोधसुधा को पिलाओ। मिथ्यामत 'विष से हम मरते, आप दयालु जिलाओ ॥
नाथ चरण कमल बलिहारी ॥४॥ परमगुरु जिनदत्तने रोका, जाना कैसे होवे ?। राजा का आग्रह, फल भारी, होनी हो सो होवे ।।
नाथ चरण कमल बलिहारी ॥५॥ आप पधारे योगिनीपुर जो, दील्ही आज कहाया । सद्गुरु पद-रज पावन भूमी, तीरथ रूप मनाया ।
नाथ चरण कमल बलिहारी० ॥६॥ चंद चकोर मोर मन मेहा, त्यों सद्गुरु से नेहा । मदनपाल नृप आदिक होते, श्रावक गुरुगुण गेहा ॥
नाथ चरण कमल बलिहारी० ॥७॥ था कुलचंद्र वहां अकिंचन. किन्तु भगत था भारी। सद्गुरु महिर नजर दौलत से, हुआ धनद अवतारी ।।
नाथ चरण कमल बलिहारी० ॥८॥
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