Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

View full book text
Previous | Next

Page 77
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दादागुरु देव पूजा संग्रह दर्शन वन्दन करते तन मन-पाप मिट जाता। मैं वारि जाउं पाप ताप मिट जाता ॥ ३ ।। बिन गुरु नर निगुरा कहलावे-भव भटकत दुःख पाता । मैं वारि जाउ भव भवकत दुःख पाता ॥ ४ ॥ गुरु आज्ञावर्ती हो प्राणी, अगम निगम गुणज्ञाता। मैं वारि जाउं अगम निगम गुण ज्ञाता ॥ ५ ॥ चैत्यवन्दनवर कुलकसुटीका, गुरु साहित्य प्रख्याता। मैं वारि जाउं गुरु साहित्य प्रख्याता ॥ ६ ॥ गुरुसाहित्यउदितआदित्यकी, ज्योतिजगसुखदाता। मैं वारि जाउं ज्योति जग सुख दाता ॥७॥ गुरु पारस फरसत नर लोहा, वर सुवरन बनजाता। मैं वारि जाउं वर सुवरन बन जाता ॥ ८ ॥ सुखसागर भगवान सुगुरु हरि, पूजो भवभयत्राता। में वारि जाउं पूजो भव भय त्राता ॥ ६ ॥ (काव्यम् ) कल्याण-कल्पद्रु फल प्रदायी दादाभिधानः कुशलाख्यसूरिः ॥ तत्पाद-पद्मद्वितयं नमामि फलेन पूजांसु समाचरामि ।। For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115