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चतुर्थ दादागुरु देव पूजा श्री जयसोमऽरु रत्ननिधाना, उपाध्याय पावन पद पाना । गुणी गुण का वह था सनमाना, संघ सकल मनभाना ।।
पूजो जुग० ॥ ३ ॥ पंडित श्रीगुणविनय महोदय, समयसुंदर थे कविवर निर्भय॥ दिव्य वाचनाचार्य यशोमय, पद पाये पुण्य प्रधाना ।।
पूजो जुग० ॥ ४ ॥ धन अवसर धन सद्गुरु राया,धन अकबर यह भाव उपाया। धन मन्त्रीश्वर कर्म कहाया, शासन शोभ बढ़ाना ।
पूजो जुग० ॥ ५ ॥ गुरु पद पुण्य महोत्सव अकबर, श्रीखंभात अखाते जलचर। जीवों को दें अभयदान वर,-जारी किये फरमाना ।
___ पूजो जुग० ॥ ६॥ श्री लाहौर नगर में मुखकर, अभय अमारी पटह बजाकर। सदगुरु बोध प्रभाव भाव भर,-भरा स्व पुण्य खजाना ।।
पूजो जुग० ॥ ७॥ नव हाथी नव गांव अनुक्तर, हय शत पंच विशेष मनोहर । सवा कोड धन जाचक जन-कर, दें मन्त्रीश्वर दाना ।।
पजो जुग० ॥ ८॥ युगप्रधानगुरुजयजयकारा, पुलकितमनजगजन ललकारा । सुखसागर गुरु प्राण-आधारा, जय जय गुरु भगवाना॥
पूजो जुग० ॥६॥
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