Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
३८
द्वितीय दादागुरु देव पूजा गुरुकी जय जय बोलें,गुरुको लाखों परणाम मणि०॥५॥ स्वपर समय के सद्गुरुज्ञाता,विबुधन को गुरु बोध सुहाता। विशद युक्ति बलवाले, गुरुको लाखों परणाम मणि ॥६॥ सद्गुरु सुखसागर भगवाना, सरल समुज्ज्वल भाव विधाना मार्ग दिखाने वाले, गुरुको लाखों परणाम मणि० ॥७॥ 'हरि' अक्षतविधि पूजाधारे, सद्गुरु सेवक काज सुधारें। चन्द्रसूर गुणवाले, गुरुको लाखो परणाम मणि ॥८॥
श्लोकचिदक्षतानन्दरसप्रवाही,
श्रीजैनचन्द्रो मणिधारि दादा ॥ तत्पादपद्म द्वितयं यजेऽहं,
समुज्ज्वल सरलाक्षतौघः
मन्त्र-----
ॐ ह्रीँ श्रीँ अर्ह परम पुरुषाय परम गुरुदेवाय भगवते जिनशासनोद्दीपकाय नरमणि मण्डित भालस्थलाय दादा श्रीजनचन्द्रसूरीश्वराय
अक्षतान् यजामहे स्वाहा ॥
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115