Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org प्रथम दादागुरु देव पूजा जयदेव - सूरि उपसम्पद लें, Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११ गुरु वसतिविधि उन चित्त ठरी ॥ दादा० ॥ निज चैत्यवास जिनप्रभ छोड़ें, जिनदत्त परम गुरु चरण परी || दादा गु०५|| महिमा मुख से नहीं जाय कही, For Private And Personal Use Only महिमा मही- मण्डल खूब भरी || दाद० ॥ गुरु गुण महिमा जो भवि गावें, सुख सम्पति उनकी सहचरी || दादा० ६ || गुरु सन्मुख धूप सुगन्धी धरो, सब पाप पुंज तब जाय जरी || दादा० ॥ सुखसागर गुरु भगवान भजो, गुण गावें सुर गणनाथ हरि" || दादा ०७ || श्लोकस्वीयोद्वर्व सिद्धिगतये सततं सदाशासम्पूर्त्तये दुर्गन्धदोपहतये वर-धूप- गन्धैदोदोपसंज्ञ - जिनदत्तगुरु परिमलोत्तमकीर्तयेऽपि । यजेऽहम् ॥ मन्त्र ॐ ह्रीं श्रीं अहं परम पुरुषाय परम गुरुदेवाय भगवते जिनशासनोद्दीपकाय दादा श्रीजिनदत्त सूरीश्वराय धूपं यजामहे स्वाहा ||

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115