Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

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Page 114
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ओम * श्री जिनकुशलसूरि स्तवन * [ तर्ज-- तेरे द्वार खड़ा भगवन् ] हे अशरण शरण आधार दरस दे दो रे दादा, दरस देदो रे दादा हे महामहिमा अवतार, परम गुरु ज्ञान गुण भण्डार ( दरस० ) टेर धम मूल मारग दिखलाकर--अधर्म दूर भगाया रे। जिन जीवन ज्योति पावन-शासन जैन जगाया रे। अहिंसक भाव विकास विशेष, मिटाया भव भय भाव कलेश ॥ १ ॥ द०॥ ब्रह्म योग बलधारी भारी महिमा अपरंपार-दुखियों को सुखिया कर देते, आप रूप अविकार रे–नजर दौलत गुरु निधान, जगत में मंगलमूल विधान ।। २॥ दरस० ।। जब जब पडे विकट संकट में दादा लाज रखी रे -दुःख का आज समय सहायक बन-कीर्ति रखी अखी रे। सुनो हे तारणहार महान, कुशल गुरु जग में युगपरधान ॥३॥ दरस ।। आतम सुधी परमातम भारी सर्वोदय अधिकारी। सद्गुरु चरण शरण पाते जन - धन उनकी बलिहारी रे। वही हो सुखसागर भगवान–परमगुरु पूजे हरि गुणवान ॥ ४ ॥ दरस ।। नित्य कवीन्द्र गुरु दिव्य कौतियाँ सुन-सुन कर सुख पाऊँ। काम बना दो सद्गुरु मेरे चरणों में शीष नमाऊँ रे। है तीन भुवन शिर भूप, दादा सुरमणि सुरतरु रूप ॥ दरस० ॥५॥ इति For Private And Personal Use Only

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