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द्वितीय दादागुरु देव पूजा
( तर्ज-सुअप्पा आप विचारो रे० )
राग भैरवी उपकारी अवतार सुपूजो उपकारी अवतार । श्रीजिनचंद परमगुरु पूजो उपकारी अवतार सुपूजो ॥टेर।
दील्ही में चौमासा ठावें, हेतु पर उपकार । आत्म-ध्यान तन्मय गुरु रहते, अप्रमाद गुणधार सुपूजो०१ __ सद्गुरुसिद्ध मदननृपसाधक, जोड़ी पुण्यअपार। अनुपम अद्भुत हुआ जगतमें, श्रीजिनधर्मप्रचार सुपूजो०२।
श्रीजिनदत्त परमगुरु पावन, वचन भविष्य विचार। अन्तसमय सदगुरु निजजाने, अभयभाव अविकार सुपूजो०३
संघ चतुर्विध को प्रतिबोधे, रत्नत्रय भण्डार | खब बढाते जाना रखना, तीन तत्वआधार सुपूजो० ४।
पण्डित मरण उदास न होना, जीवन तत्व विचार । सुविहित विधि आचारी होना. करना प्रचार सुपूजो०५
नरपति गणपति योग्य समझना, है मेरा निर्धार | शासनकी रक्षा नित करना, करना निज उद्धार सुपूजो०६
ब्रह्मतेज पूरण मणि, मेरे मस्तक रही उदार । दूध कटोरे में ले लेना, होगा जय जयकार सुपूजो ० ७/
संवत बारह सो तेवीसा, भाद्रव दूजा धार । कृष्णपक्ष चौदसको सद्गुरु, पहुँचे स्वर्ग मझार सुपूजो०८।
सदगुरु-विरही संघ चतुर्विध, करता शोक अपार।
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