________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
द्वितीय दादागुरु देव पूजा ४-धूप पूजा।
दूहाधूप उरधगति कह रहा, सद्गुरु के सत्संग। हो समकित शुभ वासना, पूजा धूप प्रसंग ।।
(तर्ज-सभा में मेरा तुमही करोगे निसतारा) पूजा से पाते भवी भव सिन्धु-किनारा ।
सेवा से पाते भवी भव सिन्धु किनारा ॥ टेर ॥
आठ वरस के छोटे बालक, सद्गुरु आज्ञा के प्रति पालक,
आचारज पद के संचालक, होते हैं जय जय कारा । पूजा से पाते भवी० ॥१॥
दादा दत्त गुरु-पटधारी, श्री जिनचन्द्र सूरि मणिधारी,
जश कीरति जग में विस्तारी, गुरु कृपा का फल सारा। पूजा से पाते भवी० ॥ २ ॥
दत्त गुरु ने बात सुनाई, योगिनीपुर मत जाना भाई.
इसमें है बस रही भलाई, करो नित धर्म प्रचारा। पूजा से पाते भवी० ॥३॥
For Private And Personal Use Only