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दादागुरु देव पूजा संग्रह
गुरु दीपक कुशल सूरीश्वर ने ॥
अज्ञान तिमिर० ॥६॥ छत्तीस महागुण धारक हो,
दुर्गुण सब दूर भगा करके। शुभ काम नाम अनुसार किये,
गुरु दीपक कुशल सूरीश्वर ने ॥
अज्ञान तिमिर० ॥ ७॥ गुरु दीपक पूजा करते हैं,
भव वन में वे न भटकते हैं। 'हरि' मार्ग बताया उन्नति का,
गुरु दीपक कुशल सूरीश्वर ने ॥ अज्ञान तिमिर ॥ ८॥
( काव्यम्) यो दीपकोऽज्ञानतमोऽपहारी,
दादाभिधानः कुशलाख्य-सूरिः तत्पाद-पद्म-द्वितयं नमामि,
सद्दीप-पूजां विदधे सुभक्त्या । ॐ ह्रीँ श्रीँ अहं परम पुरुषाय परम गुरुदेवाय भगवते जिन शासनोद्दीपकाय श्री जिन कुशल सूरीश्वराय दीपं यजामहे स्वाहा ।
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