Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

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Page 34
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दादागुरु देव पूजा संग्रह umverona ग्यारह सो सत्ताण भादो, सुद आठम शुभ लगने । सद्गुरु जनम लियो सब सुखिये, पाप लगे पर भगने ॥ गुरु की जल पूजा मलहारो ।५।। शकल पक्ष की चन्द्र-कला ज्यों, रासलनन्दन स्वामी । बालक पन में वृद्धि पाये, पुण्य कला विशरामी॥ गुरु की जल पूजा मलहारी ॥६॥ गुरु जीवन गंगाजल धारा, सुखसागर में लीना । जल पूजा करते भवि गुरु की, होते सब सुख पीना ।। गुरु की जल पूजा मलहारी ॥ ७॥ गुरु भगवान जगत हित कारी, मणियाले जिन चन्दा । अमृतधारा नित वरसाते, दें सुखपद निरद्वंदा ॥ गुरु को जल पूजा मलहारी ॥ ८ ॥ गुरु पद-सेवा अनहद मेवा, बोध शुद्धि अधिकारी ॥ जल पूजा "हरि" गुरु की करते, धन धन वे नर नारी ।। गुरु की जलपूजा मलहारी ॥६॥ श्लोकसज्जीवनाधार रस-प्रवाही. श्रीज नचन्द्रो मणिधारि दादा॥ तत्पादपद्मद्वितयं जलेन, प्रक्षालयामीह सुबोध शुद्ध यै ॥ For Private And Personal Use Only

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