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दादागुरु देव पूजा संग्रह
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ग्यारह सो सत्ताण भादो, सुद आठम शुभ लगने । सद्गुरु जनम लियो सब सुखिये, पाप लगे पर भगने ॥
गुरु की जल पूजा मलहारो ।५।। शकल पक्ष की चन्द्र-कला ज्यों, रासलनन्दन स्वामी । बालक पन में वृद्धि पाये, पुण्य कला विशरामी॥
गुरु की जल पूजा मलहारी ॥६॥ गुरु जीवन गंगाजल धारा, सुखसागर में लीना । जल पूजा करते भवि गुरु की, होते सब सुख पीना ।।
गुरु की जल पूजा मलहारी ॥ ७॥ गुरु भगवान जगत हित कारी, मणियाले जिन चन्दा । अमृतधारा नित वरसाते, दें सुखपद निरद्वंदा ॥
गुरु को जल पूजा मलहारी ॥ ८ ॥ गुरु पद-सेवा अनहद मेवा, बोध शुद्धि अधिकारी ॥ जल पूजा "हरि" गुरु की करते, धन धन वे नर नारी ।। गुरु की जलपूजा मलहारी ॥६॥
श्लोकसज्जीवनाधार रस-प्रवाही.
श्रीज नचन्द्रो मणिधारि दादा॥ तत्पादपद्मद्वितयं जलेन,
प्रक्षालयामीह सुबोध शुद्ध यै ॥
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