Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee
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२२
दादागुरु देव पूजा-संग्रह तीजे पद परमेष्ठी स्वामी, आचारज गण धामी। सीमन्धर जगदीश्वर वाणी, एक भवे शिवगामी ॥२॥ वीर जिनेश्वर शासन वासित, संघ सकल शिवरामी । युगवर अतिशय-महिमा धारी,जगजश-कीरति जामी ॥३॥ सेवा करते सुर-नर नायक, श्री गुरु पद शिर नामी। कलियुग में कल्पद्रुम जैसे, वाञ्छित दें अभिरामी ॥४॥ जैनेतर जन जैन बनाये, सवालक्ष सुखकामी। शुद्धिका मारग दिखला कर, दूर करी सब खामी ॥५॥ सुख सागर भगवान परमगुरु, पूजो पाप विरामी । नित सुर "गणनायक हरि" कहते, श्रीगुरुचरण नमामि ॥६॥
॥मंगल दीपक॥ मंगलमय गुरु मंगल दीपक, मंगलमाला कारी। मंगल हित भविजन नित कीजे, वरते मंगलाचारी ॥१॥ सदगरु मंगल दीपक ज्योति, हृदय तिमिर दे टारी। पाप-पतंग विनाशक आतम, पुण्य प्रकाशक भारी ॥ २॥ सुख सागर भगवान परम गुरु, सर्व अमंगल हारी। मंगल दीपक करते सुर "गणनायक हरि" जयकारी ॥३॥ इति पूज्यपाद प्रातः स्मरणीय आबाल ब्रह्मचारी जैनाचर्य ___ श्री मजिनहार सागर सूरीश्वर विरचिता
प्रथम दादा गुरुदेव पूजा
समाप्ता।
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