Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

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Page 66
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५८ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तृतीय दादागुरु देव पूजा ( काव्यम् ) भव्य - प्रसून प्रतिबोधकारी, दादाभिधानः कुशलाख्य सूरिः । तत्पाद - पद्म - द्वितयं नमामि प्रसून - पूजैः परिपूजयामि ॥ मन्त्र ॐ ह्रीँ श्रीँ अर्ह परम पुरुषाय परम गुरुदेवाय भगवते श्रीजिनशासनोद्दीपकाय श्री जिनकुशल सूरीश्वराय पुष्पं यजामहे स्वाहा । ४ धूप पूजा । दूहा - 1 हैं गुरु धर्म दशांगयुत उरध सिद्ध गति भाव । पूजो धूप दशांग से, गुरुपद गुरुपद दाव || तर्ज - ( हो उमराव थारी बोली प्यारी लागे ) हो गुरुराज पद शुभ भावधरी नित पूजो नर नार । हो गुरुराज पूजा करते भविजन होवें भव पार || भवपार हो जी नर नार || ढेर || For Private And Personal Use Only

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