Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

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Page 104
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ६६ चतुर्थ दादागुरु देव पूजा दिन दश पनरे अरुवीस पचीस, तथा महिनादो महिना की । ओरों से भी जीवदया करवाई चन्द सूरीश्वरने ॥ जिन० ॥ ७ ॥ नृप काश्मीर विजय में अकबर ने गुरु शिष्य बड़े निज साथ लिये । त्यागी जीवन की महिमा को, दिखलाई चन्द सूरीश्वरने || जिन० ॥ ८ ॥ श्रीनगर अमारी आठ दिनों तक करवाई गुरू शिष्योंने । निज दिव्य ज्ञान गुण गरिमा को दिखलाया चन्द सूरीश्वरने । जिन० ॥ ६ ॥ अकबर ने गुण रंजित होकर, वर 'युगप्रधान ' पद खूब दिया । जिन शासन डंका बजवाया, सुख सागर चंद सूरीश्वरने || जिन० ॥ १० ॥ जीवाभय दान विधान गुरु, भगवान की पूजा नित्य करो । हरि अभय बनो जय विजय वरो, फरमाया चंद सूरीश्वरने ॥ जिन० ॥ ११ ॥ । श्लोक दिल्हीश्वराकवर बोधि-युगप्रधान Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दादाभिधान सुगुरोर्जिनचन्द्र सूरेः । पादारविन्द युगलं परम प्रसादं नैवेद्यवस्तुभिरहं प्रणतो यजेऽहम् ॥ For Private And Personal Use Only

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