Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १४ दादागुरु देव पूजा संग्रह दिव्य प्रदीप करणेन सुभक्ति युक्तो दादोपसंज्ञजिनदत्तगुरु यजेऽहम् ॐ हाँ श्रीँ अर्ह परम पुरुषाय परम गुरुदेवाय भगवते जिनशासनोद्दीपकाय दादा श्रीजिनदत्त सूरीश्वराय दीप यजामहे स्वाहा ।। ६--अक्षत पूजा। दूहाउज्ज्वल अक्षत श्रीगुरु, पूजो अक्षत धार । उज्ज्वल अक्षत पद मिले, रहे न एक विकार ।। ( तर्ज-आधार मेरे प्यारे पारस प्रभु हैं आधार) अपार मेरे प्यारे, महिमा गुरु की अपार ॥ टेर ॥ दादागुरु जिनदत्त अकारण-- बन्धु भवसिंधु आधार । आधार मेरे प्यारे म० ॥१॥ अभक्ष्य त्यागी सुलतान सुत को। जीवन दान दातार। दातार मेरे प्यारे म० ॥२॥ विजली गिरी उसे पाने में रोकी। प्रतिक्रमण के मझार। मझार मेरे प्यारे म० ॥३॥ For Private And Personal Use Only

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